चाणक्य ने बताई थी अपने शत्रु और मित्र की पहचानने की कला. जाने क्या कहता है इसके बारें में चाणक्य शास्त्र ⤙

आचार्य चाणक्य नीति :  इसमें कोई दोराय नहीं कि अगर व्यक्ति के जीवन में उसके कई मित्र होते है, तो कई शत्रु भी होते है। हालांकि ये हम पर निर्भर करता है कि हम अपने मित्र और शत्रु को कैसे पहचाने, क्यूकि आज के समय में सच्चे मित्र की पहचान करना सच में काफी मुश्किल है। ऐसे में मित्र और शत्रु की कुछ खास विशेषताएं आचार्य चाणक्य ने बताई है, जिससे आप आसानी से सही मित्र का चुनाव कर सकते है। अब ये तो सब को मालूम ही है कि आचार्य चाणक्य महान शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु थे और आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति से तो हर कोई बखूबी वाकिफ है। तो चलिए अब आपको बताते है कि आप शत्रु और मित्र की पहचान कैसे कर सकते है।

चाणक्य ने बताई थी अपने शत्रु और मित्र की पहचानने की कला. जाने क्या कहता है इसके बारें में चाणक्य शास्त्र ⤙

आचार्य चाणक्य ने बताई मित्र और शत्रु की कई विशेषताएं :

बता दे कि आचार्य चाणक्य का कहना है कि जीवन में सफल होने के लिए सच्चे और अच्छे दोस्त जरूर बनाने चाहिए, लेकिन अगर आप जीवन में ज्यादा सफल होना चाहते है तो शत्रुओं का होना भी उतना ही जरूरी है। जी हां चाणक्य के अनुसार मित्र तो व्यक्ति की सहायता करते है, लेकिन शत्रु हमारी कमियों को सामने लाने में मदद करते है।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि हम अपने मित्र की कमजोरी और ताकत के बारे में तो बखूबी जान सकते है, लेकिन अगर आपको अपने शत्रु को हराना है तो उसकी कमजोरी और ताकत के बारे में जानना भी बेहद जरूरी है। ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। । इसलिए अगर हो सके तो शत्रु से भी अच्छी मित्रता बनाएं रखे, क्यूकि अगर आपको सफलता हासिल करनी है तो आपको शत्रु के साथ भी अच्छा व्यव्हार करना पड़ेगा।

आचार्य चाणक्य ने बताया शत्रु के साथ कैसा करना चाहिए व्यव्हार :

आचार्य चाणक्य ने बताई

गौरतलब है कि जीवन में कभी किसी ऐसे व्यक्ति से मित्रता न करे जो मन से बुरा और गलत बुद्धि वाला हो। जी हां आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति हमेशा दूसरों की बुराई करता हो और कभी किसी का भला न चाहता हो, ऐसे व्यक्ति से दूर ही रहना चाहिए। वो इसलिए क्यूकि ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता और ऐसे लोगों को मित्र बना कर आप खुद का ही नुक्सान करेंगे।

आचार्य चाणक्य के अनुसार जो लोग अधिक मीठा बोलने वाले होते है और जरूरत से ज्यादा प्रेम पूर्वक व्यव्हार करने वाले होते है, ऐसे लोगों से भी दूर रहना चाहिए। वो इसलिए क्यूकि हमें धोखा देने वाले अक्सर हमारे अपने ही होते है। जी हां चाणक्य के अनुसार जिस तरह से चंदन का पेड़ काफी शीतल होता है लेकिन फिर भी सांप उस पेड़ से लिपटे होते है, तो कुछ वैसा ही हाल इंसानों का भी होता है।

फिलहाल तो मित्र और शत्रु की जो विशेषताएं आचार्य चाणक्य ने बताई है, उनके बारे में हर किसी को पता होना जरूरी है, क्यूकि जब तक आप जीवन में सही व्यक्ति की पहचान करना नहीं सीख जाते, तब तक आप जीवन में कभी सफल नहीं हो सकते।