Ayodhya Dowry Case: उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के इनायतनगर थाना क्षेत्र में एक शादी समारोह खुशियों के बजाय दर्द और अपमान में तब्दील हो गया. कल्याणपुर केवटानी गांव में 24 मई, 2025 को जौनपुर से आई बारात के साथ शादी की रस्में धूमधाम से शुरू हुई थीं. द्वारपूजा और रात में विवाह की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं लेकिन अगली सुबह दूल्हे ने अचानक ढाई लाख रुपये की मांग रख दी. “पैसा दो, वरना विदाई नहीं होगी,” दूल्हे के इस रवैये ने लड़की पक्ष को स्तब्ध कर दिया. लड़की के परिवार ने अपनी हैसियत से अधिक खर्च कर शादी की तैयारियां की थीं लेकिन इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना उनके लिए असंभव था.
दुल्हन की हिम्मत और पुलिस कार्रवाई
जब लड़की पक्ष ने ढाई लाख रुपये देने में असमर्थता जताई तो दूल्हा और उसके परिवार ने विदाई से इनकार कर दिया. इसके बाद पूरी बारात बिना दुल्हन के जौनपुर लौट गई. इस अपमान से आहत पीड़िता नीलू ने हिम्मत दिखाते हुए इनायतनगर थाने में शिकायत दर्ज की. नीलू ने बताया, “ससुराल वालों ने वादा किया था कि वे मुझे अपनाएंगे लेकिन पैसे न मिलने पर उन्होंने मेरा रिश्ता तोड़ दिया.” उसने विशंभर पांडेय, रोशनी पांडेय सहित कई लोगों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया. इनायतनगर थाना प्रभारी देवेंद्र पांडेय ने कहा ‘पीड़िता की तहरीर पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. जांच और कानूनी कार्रवाई जारी है.’
सामाजिक बुराई का चेहरा उजागर
यह घटना दहेज जैसी सामाजिक बुराई की कड़वी सच्चाई को सामने लाती है. नीलू ने अपनी शिकायत में कहा कि ससुराल वालों ने बिना सहमति और उचित रीति-रिवाजों के विवाह की औपचारिकताएं पूरी कीं और फिर उसे त्याग दिया. यह मामला समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की गहरी जड़ों को दर्शाता है जो आज भी कई परिवारों की खुशियों को तबाह कर रही है. अयोध्या जैसे पवित्र शहर में हुई इस घटना ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा किया है.
कानूनी और सामाजिक सवाल
इस मामले ने एक बार फिर दहेज उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित किया है. क्या नीलू को इंसाफ मिलेगा? क्या दहेज मांगने वालों को सजा होगी, जो बेटियों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं? यह सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है. विशेषज्ञों का कहना है कि दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कानूनी सख्ती के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है.
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