Electricity Bill: गर्मी के मौसम में बिजली का बिल बढ़ना आम बात है, लेकिन इस साल दिल्ली के लोगों के लिए बिजली का बिल पहले से भी ज्यादा भारी पड़ सकता है। मई-जून 2024 के दौरान दिल्ली के उपभोक्ताओं को अपने बिजली बिल में लगभग 7 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है डिस्कॉम (विद्युत वितरण कंपनियों) द्वारा लगाए गए पावर परचेजिंग एडजस्टमेंट कॉस्ट (PPAC) में हाल ही में किए गए बदलाव।
PPAC क्या है और क्यों बढ़ा?
PPAC यानी पावर परचेजिंग एडजस्टमेंट कॉस्ट, वह अतिरिक्त लागत होती है जो बिजली उत्पादन कंपनियों को अपने ईंधन जैसे कोयला, गैस आदि की कीमतों में हुई वृद्धि के कारण उठानी पड़ती है। यह लागत बिजली वितरण कंपनियों (Discoms) के जरिए उपभोक्ताओं से वसूल की जाती है। जब ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं, तो PPAC बढ़ जाता है, जिससे बिजली बिल में भी इजाफा होता है।
दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (DERC) ने मई-जून 2024 के लिए इस PPAC को बढ़ाने की मंजूरी दी है। DERC ने BRPL (बिजली वितरण कंपनी) के लिए 7.25%, BYPL के लिए 8.11% और TPDDL के लिए 10.47% की PPAC वृद्धि को मंजूर किया है। इसका सीधा मतलब है कि इन कंपनियों के ग्राहकों के बिजली बिल में इसी अनुपात में वृद्धि हो सकती है।
DERC का आदेश और डिस्कॉम की प्रतिक्रिया
इस महीने की शुरुआत में DERC ने तीनों डिस्कॉम को आदेश दिया कि वे 2024-25 की तीसरी तिमाही के PPAC की वसूली मई-जून 2024 में करें। हालांकि, इस बढ़ोतरी को लेकर डिस्कॉम की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। यह भी साफ नहीं है कि इस बढ़ोतरी का असर बिलों में किस हद तक होगा, लेकिन शुरुआती अनुमान से दिल्ली के उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी।
URD की कड़ी प्रतिक्रिया
दिल्ली के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की एक संस्था, यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (URD) ने DERC के इस कदम की कड़ी निंदा की है। URD के महासचिव सौरभ गांधी ने इसे ‘मनमाना’ करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में कई कानूनी कमियां हैं। उनका कहना है कि पिछले कई वर्षों से बिजली आयोग कंपनियों को लाभ पहुंचाने का काम कर रहा है और जनता की शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता रहा है।
गांधी ने कहा कि नये आयोग से उम्मीद थी कि वह पारदर्शिता के साथ टैरिफ निर्धारण करेगा, लेकिन वर्चुअल जन सुनवाई में हितधारकों को पर्याप्त समय नहीं दिया गया, जिससे जनता की आवाज दब गई। उनका मानना है कि इस तरह की अप्रत्याशित वृद्धि आम उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनेगी।
दिल्ली में बिजली बिल बढ़ने से क्या होगा प्रभाव?
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आम जनता पर दबाव: बढ़े हुए बिजली बिल से घरों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, खासकर उन परिवारों पर जो पहले से ही आर्थिक तंगी में हैं।
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व्यवसायों और छोटे कारोबार पर असर: छोटे दुकानदार, गृह उद्योग, और छोटे व्यवसायों को भी बिजली की महंगाई से नुकसान हो सकता है, जिससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ेगी।
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उद्योगों की उत्पादन लागत में वृद्धि: बिजली महंगी होने से उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ेगी, जो अंततः उत्पादों की कीमतों पर असर डाल सकता है।
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ऊर्जा संरक्षण की आवश्यकता: महंगे बिलों के कारण उपभोक्ता अब ऊर्जा बचत के उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
बिजली बचाने के उपाय
बढ़े हुए बिजली बिल से बचने के लिए दिल्लीवासी कुछ आसान कदम उठा सकते हैं:
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बिजली बचाने वाले उपकरणों का उपयोग: LED बल्ब और ऊर्जा कुशल उपकरणों का उपयोग करें।
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बिजली का सही इस्तेमाल: गैरजरूरी बिजली उपकरण बंद करें, और ऊर्जा की बर्बादी रोकें।
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समय पर भुगतान: बिल समय पर चुकाएं ताकि अतिरिक्त जुर्माना या ब्याज न लगे।
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सौर ऊर्जा अपनाएं: संभव हो तो सौर ऊर्जा के विकल्पों पर भी विचार करें।
दिल्ली में मई-जून 2024 में बिजली बिल बढ़ने की संभावना ने कई लोगों को चिंतित कर दिया है। DERC के आदेश से PPAC बढ़ने के कारण बिजली वितरण कंपनियां अधिक राशि वसूलेंगी, जिससे उपभोक्ताओं के बिल में इजाफा होगा। हालांकि यह बढ़ोतरी आवश्यक ईंधन लागत बढ़ने के कारण की गई है, लेकिन इसके असर से आम जनता को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
दिल्ली की यूनाइटेड रेजिडेंट्स ऑफ दिल्ली (URD) जैसी संस्थाएं इस फैसले की निंदा कर रही हैं और सरकार तथा बिजली आयोग से अपील कर रही हैं कि वे इस बढ़ोतरी पर पुनर्विचार करें। साथ ही उपभोक्ताओं को भी ऊर्जा की बचत के उपाय अपनाकर अपने बिजली बिल को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।
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