विश्व साईकिल दिवस: साइकिल को यातायात के साधन के रूप में अपनाए , तभी इस दिवस की सार्थकता सिद्ध होगी


Himachali Khabar

लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ एंपावरमेंट मेंटर
हमारे भारतीय घरों से साइकिल की विदाई शुभ संकेत नहीं है। कुछ लोगों के लिए साइकिल मात्र फैशन के रूप में तो है, फोटो खिंचाने के लिए भी खूब है, परंतु उसे यातायात के लिए अपनाया जाता है। बिना किसी उपयोगिता के साइकिल के टायर घिसना कौन सी बुद्धिमानी है। लोग न जाने क्यों दोहरा जीवन जीने को आनंद का विषय मानते है। बिना वजह सड़क पर साइकिल चलाना न तो हमारे लिए फायदेमंद है और ना ही पर्यावरण के लिए लाभदायक है क्योंकि हम पर्यावरण को दोहरी मार झेलने को मजबूर कर रहे है। हमारे यहां लोग अपने गंतव्य को जाने के लिए तो बहुत गर्व के साथ मोटर बाइक तथा कार उपयोग करते है, चाहे उन्हें पचास मीटर ही जाना पड़े, झट से बाइक या कार उठाते है। इसके साथ ही साथ हम खुद को सेहतमंद बनाने का दिखावा करने के लिए साइकिल चलाते है, जिससे बिना किसी उपयोगिता के ही साइकिल टायर घिसने का कार्य अलग करते है, जो हमारे पर्यावरण के लिए अलग नुकसान करता है। देश के किसी भी शहर में रहने वाले नागरिकों को पर्यावरण को संरक्षित करने का बहुत बड़ा अवसर मिलता है क्योंकि उनके कार्यालय, व्यवसायिक संस्थान तथा बाजार में दुकाने भी तो पांच छह किलोमीटर की रेंज में ही तो आते है। कितने ही ऐसे जिम्मेदार नागरिक इस देश में है जो अपने गांव से शहर आने के लिए भी साइकिल का उपयोग करते है और बहुत गौरव के साथ साइकिल चलाते है। हमारी भारतीय संस्कृति में साइकिल को सदैव से ही आने जाने के बेहतरीन साधन के रूप में माना जाता रहा है। हमारे यहां शादियों में भी साइकिल गिफ्ट के रूप में भी दी जाती थी। विश्व में साइकिल को आने जाने के साधन के रूप में देखना है तो जापान वा चीन जैसे देश में देखा जा सकता है। साइकिल चलाना हमारे लोगों के स्वस्थ तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए तभी लाभदायक होगा जब हमारे हर नागरिक चाहे वो विद्यार्थी हो, चाहे अधिकारी हो, चाहे शिक्षण संस्थानों के हेड हो, बाजार में दुकानों के मालिक हो, या फिर व्यवसायिक संस्थानों के मालिक हो, सभी अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचने के लिए साइकिलों का उपयोग करना शुरू करेंगे, अन्यथा सब दिखावा मात्र ही है। हमने कभी भी जीवन जीने की अपनी स्वतंत्र जीवन शैली तय नहीं की। हम आज भी दूसरों के अनुसार अपना गौरव, और अपनी इज्जत तय करते है, हम किसी ऐसे व्यक्ति को खुश करने के लिए ना तो पर्यावरण का ध्यान रखते है, ना अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते है, और ना ही हम छोटे छोटे जीव जंतुओं के लिए भी चलने फिरने का रास्ता छोड़ते है। इस धरती पर जीवन को इतना कठिन बना दिया है कि पैदल चलना ही मुश्किल होता जा रहा है। साइकिल चलाना तो अब या तो गरीब लोग जिनके पास संसाधन नहीं है, या जो कोई पर्यावरण प्रेमी लोग या फिर फैशन के तौर पर ही रह गया है। एक समय था जब हर घर में एक नहीं कई कई साइकिल होती थी, परंतु आजकल तो साइकिल ही नहीं होती है। वैसे भी भारत में बड़े बड़े शहरों में तो क्या छोटे में भी साइकिल चलाना तो  दूर, साइकिल को पैदल लेकर चलना भी दूभर हो गया है। वैसे तो हमारे यहां कुछ पूंजीपतियों ने साइकिल गरीबी की निशानी बना दी है लेकिन कभी कभी साइकिल यात्रा आदि निकाल कर अपनी दबी हुई इच्छाओं की पूर्ति कर ली जाती है। लोग एक कॉम्पैक्ट परिसर में रहने के बावजूद भी अपने स्कूल कॉलेज तक साइकिल पर नहीं जाते है क्योंकि साइकिल हमारे यहां आर्थिक रूप से कमजोर की पहचान बना दी गई है, इसलिए आम लोगों को शर्म आती है। साइक्लिंग व्यायाम से अधिक आने जाने का साधन बने, तभी ये धरती सुरक्षित रह सकती है। आज की युवा पीढ़ी तो अगर सौ मीटर भी जाना है तो मोटरबाइक का इस्तेमाल करते है, कोई कार का सहारा लेते है। ऐसा लगता है जैसे लोग पैदल चलना भूल गए है, साइकिल चलाना भूल गए है, साइक्लिंग ऑप्शनल हो गया है। जीवन कितना आसान होता है, कितना सादा होता है परंतु हम पहले तो बहुत से महंगे साधन जोड़ते है फिर उन्ही संसाधनों से परेशान होकर, उनसे छुटकारा चाहते है और वो भी ऐसे महानुभावों के लिए जो पहले से ही परेशान है। पृथ्वी पर सभी संसाधन लिमिटेड है, उन्हें किफायत से उपयोग करने की जरूरत है। वर्तमान में ऐसी हालत है कि अगर कोई साइकिल यात्रा निकाली जाए तो घरों में साइकिल ही नहीं मिलती है। निजी स्कूल्स में जाने वाले विद्यार्थी तो घर से ही बसों में बैठते है, हां कुछ सरकारी स्कूल्स में पढ़ने वाले बच्चे जरूर साइकिल से आते जाते है। साइकिल को यातायात के साधन के रूप में विकसित करना ही आज की जरूरत है। हमे विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर कुछ संकल्प लेने की जरूरत है, जैसे ;
1. शिक्षण संस्थानों में किसी भी प्रकार के व्हीकल पर प्रतिबंध होना चाहिए, केवल साइकिल ही एक मात्र साधन हो।
2. निश्चित परिसर में रहने वाले लोग उसी स्थान से अपने कार्यालयों में जाने के लिए साइकिल का उपयोग करें।
3. भारत के हर नागरिक को पांच किलोमीटर तक के सफर को साइकिल से ही पूरा करना चाहिए।
4. सरकार हर शहर में साइकिल पर चलने के लिए ट्रैक बनाने का संकल्प ले और साइकिल की व्यवस्था भी करनी चाहिए, क्योंकि पर्यावरण बचाना जितनी आम जन की जिम्मेदारी है उससे कहीं अधिक सरकारों की है।
5. हर नागरिक पांच किलोमीटर तक साइकिल से आने जाने का संकल्प लेना चाहिए।
6. हर पेरेंट्स अपने छोटे छोटे बच्चों को पैदल चलने का अभ्यास कराएं तथा साइकिल से आने जाने को प्रोत्साहित करें।
7. विद्यार्थियों के लिए चाहे वो स्कूल्स में जाते हो या फिर विश्वविद्यालयों में पढ़ते हो, उन्हें साइकिल से ही सफर करना चाहिए।
8. समाज के मुख्य लोगों को, प्रशासनिक अधिकारियों को,बड़े राजनीतिज्ञों को, तथा उद्योगपतियों को साइकिल से सफर करना चाहिए।
9. साइकिल चलाना केवल सेहत के लिए ही आवश्यक नहीं है,ये भीड़ से बचने, दुर्घटनाएं रोकने, ग्लेशियर को बढ़ते तापमान से बचाने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है।
10. साइकिल चलाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना सांस लेना जरूरी है।
11. सरकारों को साइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ सहयोग, इंसेंटिव, स्पेशल आइडेंटिटी की व्यवस्था करनी चाहिए।
12. साइकिल से ऑफिस आने जाने वालों को अपनी चेस्ट पर आई प्रिफर साइकिल का टैग लगाना चाहिए।
13. साइक्लिंग ना केवल व्यक्तित्व को विकसित करती है बल्कि आपकी विचारधारा को भी इस धरती को बचाने वाली बनाती है।
14. पर्यावरण को बचाना है तो हर घर में साइकिल होना गौरव का विषय होना चाहिए, तभी हम इस धरा को बचा सकते है।
15. शुरुआत में हम सभी व्यक्तिगत तौर पर भी हर सप्ताह में कम से कम एक दिन तो मोटरबाइक या कार की बजाय साइकिल का उपयोग करने का संकल्प ले।
   साइकिल को कार व मोटरबाइक का विकल्प बनाएं, अन्यथा कुछ ही समय में ये धरती पानी में डूबने के कगार पर पहुंच जाएगी, क्योंकि पृथ्वी पर तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघलेंगे और सारी बर्फ पानी में बदल जाएगी, जो प्रलय की स्थिति पैदा करेगी। साइकिल जीवनशैली का हिस्सा बने, यही तो हम सब को संकल्प लेना है। इससे जीवन बदल जाएगा, पर्यावरण शुद्ध होगा, कार्बन का उत्सर्जन कम होगा, तापमान बढ़ने को रोका जा सकेगा, लोगों का स्वास्थ्य बेहतरीन बनेगा, सड़कों पर वाहनों की भीड़ कम होगी, एक्सीडेंट  घटेंगे, कीमती संसाधनों को बचाया जा सकेगा, शहर सुंदर दिखेंगे, पृथ्वी का दोहन रुकेगा। साइकिल चलाना केवल सेहत सुधारना ही नहीं है, बल्कि इस पृथ्वी को बचाना है, धरती माता को बचाना है, जिससे जन जीवन सुंदर बनेगा, बीमारियां कम होगी, लोग स्वस्थ रहेंगे, निरोग रहेंगे और इस धरा को प्रदूषणमुक्त किया जा सकेगा। भारत माता की जय बोलने से नहीं, भारत माता के लिए साइकिल से स्कूल्स, कॉलेज, विश्वविद्यालय, बाजार, कार्यालय, व्यवसायिक संस्थानों में जाना जरूरी है। तभी भारत माता को प्रदूषण मुक्त कर पाएंगे।
जय हिंद, वंदे मातरम

 

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