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मानसून की बरसात को लेकर सभी इंतजार कर रहे है। मानसून ने इस इस साल पहले और मजबूत दस्तक दी थी, लेकिन अब वह सुस्त पड़ गया है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक सामान्यत: कमजोर मानसूनी धारा पूर्वोत्तर देश के में बरसात को बढ़ाती है, इससे असम घाटी में बाढ़ की स्थिति बन जाती है। इसी क्रम में असम में तेज बरसात हुई और बाढ़ की स्थिति बनी।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अब पूर्वोत्तर में बरसात में कमी आई है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति में सुधार हो रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र की विशेषता है कि बरसात रुकने के बाद भी नदियों और जलधाराओं में बहाव कुछ दिनों तक जारी रहता है।
मानसून की उत्तरी सीमा पर ठहराव
आपको बता दें कि मानसून की उत्तरी सीमा 26 मई 2025 से मुंबई और पश्चिमी तट पर स्थिर बनी हुई है। इसकी पूर्वी शाखा भी सिक्किम और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल से आगे बढ़ने में असमर्थ है। कोलकाता अब तक अपनी पहली मानसूनी वर्षा का इंतजार कर रहा है। दोनों दिशाओं पश्चिमी तट और पूर्वी भारत में 12 जून तक मानसून के आगे बढ़ने की संभावना नहीं है।
खाड़ी में बन सकता है मौसमी सिस्टम
इसी बीच 11 जून 2025 को पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती परिसंचरण बनने की उम्मीद है, जो 12 जून 2025 तक और सक्रिय होकर दक्षिण प्रायद्वीप की ओर बढ़ सकता है। इस सिस्टम के प्रभाव से 11 जून 2025 को आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में हल्की से मध्यम बरसात की शुरुआत होगी। इसके बाद अगले 2-3 दिनों में कर्नाटक और महाराष्ट्र के आंतरिक क्षेत्रों में वर्षा की तीव्रता और क्षेत्रफल दोनों में बढ़ोत्तरी होगी। केरल, तटीय कर्नाटक, गोवा और कोंकण क्षेत्र में भारी से बहुत भारी बारिश संभव है।
यह सिस्टम सामान्य मानसूनी सिस्टम जैसा नहीं होगा
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक यह मौसमी सिस्टम पारंपरिक मानसून की शुरुआत जैसा नहीं होगा। यह वर्षा उन्हीं क्षेत्रों में लाएगा, जहाँ मानसून पहले ही पहुंच चुका है। सामान्यत: इस समय मानसून को गंगीय पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, बिहार और छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ना चाहिए। हालांकि, यह सिस्टम इन क्षेत्रों में मानसूनी पूर्वी हवाओं का प्रवाह शुरू कर सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि इससे व्यापक और ताकतवर मानसूनी वर्षा हो।
14-15 जून को नया सिस्टम संभावित
इसी बीच उम्मीद जताई जा रही है कि 14-15 जून के आसपास बंगाल की खाड़ी के ऊपरी एरिया में एक और चक्रवाती परिसंचरण विकसित हो सकता है। यह सिस्टम पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में मानसून को आगे बढ़ा सकता है। हालांकि, मौसम पूर्वानुमान मॉडल 5 दिनों से अधिक की अवधि के लिए कम सटीक हो जाते हैं, इसलिए फिलहाल पूर्वी भारत में मानसून की प्रगति को लेकर कोई निश्चित टिप्पणी करना जल्दबाज़ी होगी।