फर्जी एडमिशन घोटाला: CBI की टीम ने SIRSA के सरकारी स्कूलों में रिकॉर्ड जांचने में जांच की तेज


Himachali Khabar
हरियाणा प्रदेश के अंदर राजकीय स्कूलों में CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की टीम 4 लाख गैर-मौजूद छात्रों से जुड़े फर्जी एडमिशन घोटाले की जांच तेज कर दी है। आपको बता दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 जून, 2024 को FIR दर्ज की। 2016 में शुरू में उजागर हुए इस मामले को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा 2019 में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। इससे पहले हिसार के सरकारी स्कूलों में जांच शुरू कर गई, अब CBI अब सिरसा के 35 स्कूलों में फर्जी नामांकन और धन के दुरुपयोग का संदेह है। जांच एजेंसी ने शैक्षणिक वर्ष 2014-15 और 2015-16 के विस्तृत छात्र डेटा और अनुदान उपयोग रिकॉर्ड मांगे हैं, इससे गर्मी की छुट्टियों के दौरान शिक्षा विभाग में हलचल मच गई है।

ये है मामला, कैसे आया सामने 
आपको बता दें कि इस मामले में HARYANA के सरकारी स्कूलों में 2016 में पकड़े गए करीबन 4 छात्र शामिल हैं। उस वक्त स्कूल रिकॉर्ड में 22 लाख छात्रों के नामांकन की जानकारी थी, लेकिन केवल 18 लाख छात्रों के असली होने की पुष्टि हुई। बता दें कि डेटा सत्यापन के दौरान यह घोटाला सामने आया, इसमें पता चला कि फर्जी एडमिशन का इस्तेमाल मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्ति और वर्दी जैसे राजकीय लाभों का दावा करने के लिए किया गया था। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बाद में राज्य एजेंसियों की धीमी प्रगति के कारण 2019 में जांच सीबीआई को सौंप दी।

सिरसा में क्या कार्रवाई की है? 
सीबीआई की टीम ने इस माह यानि जून 2025 के प्रथम सप्ताह में, CBI ने सिरसा के जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (डीईईओ) को एक औपचारिक पत्र भेजा, इसमें बड़ागुढ़ा, डबवाली, ऐलनाबाद, रानिया और सिरसा शहर जैसे ब्लॉकों के 35 स्कूलों से रिकॉर्ड मांगे गए। इस रिकॉर्ड के दौरान यू-डीआईएसई और MIS पोर्टल, भौतिक उपस्थिति रजिस्टर, अनुदान उपयोग और छात्र बैंक विवरण के डेटा शामिल हैं।

इसी के साथ ही स्कूलों को 2014 और 2016 के बीच शिक्षा छोड़ने वाले छात्रों का विवरण भी सांझा करने के लिए जानकारी मांगी गई। स्थानीय अधिकारी CBI के अनुरोध पर क्या प्रतिक्रिया दे रहे हैं? डिप्टी डीईओ विनोद कुमार श्योराण के मुताबिक स्कूलों ने डेटा संकलित करना शुरू कर दिया है, और जिला कार्यालय अनुदान से संबंधित रिकॉर्ड तैयार कर रहा है, इसमें बैग, स्टेशनरी और छात्रवृत्ति के लिए भेजे गए फंड शामिल हैं। जानकारी के अनुसार सभी डेटा 12 जून तक CBI को भेज दिए जाएंगे। गर्मियों की छुट्टियों के बावजूद, कर्मचारियों ने वक्तपर काम पूरा करने के लिए शनिवार को काम किया। जांच प्रक्रिया के बारे में शिक्षक क्या कह रहे हैं?

जानकारी के अनुसार कई शिक्षक परेशान हैं क्योंकि उनके एकमात्र वार्षिक अवकाश के दौरान डेटा मांगा जा रहा है। कुछ का कहना है कि उनकी यात्रा और पारिवारिक योजनाएं बाधित हुई हैं। रिकॉर्ड प्राप्त करने में उन्हें चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है, खासकर तब जब कई शिक्षकों का कहीं पर तबादला हो गया है और पहले इस्तेमाल किए गए प्रारूप वर्तमान CBI आवश्यकताओं से मेल नहीं खाते हैं। शिक्षकों का कहना है कि 2014 में आरटीई प्रतिबंधों के कारण नामांकन दोगुना हो गया था, लेकिन 2016 में आधार-आधारित MIS ने अधिकांश विसंगतियों को हल कर दिया।

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