बिहार चुनाव से पहले NDA में पड़ी फूट, Chirag Paswan के पीट पर खास दोस्त ने किया वार, क्या Nitish समेट पाएंगे फैला हुआ रायता?..

बिहार चुनाव से पहले NDA में पड़ी फूट, Chirag Paswan के पीट पर खास दोस्त ने किया वार, क्या Nitish समेट पाएंगे फैला हुआ रायता?..Bihar Vidhansabha Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरो शूरों से हो रही हैं। सभी पार्टियां चुनाव को लेकर एक्टिव हो चुकी हैं। इस बीच NDA के सिर पर एक बड़ी मुसीबत टूट पड़ी है। दरअसल, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अब अंदरूनी कलेश शुरू हो गया है। दरअसल, केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान की रैली पर कटाक्ष करते हुए एक बड़ा बयान दे डाला।

दरअसल, मांझी ने चिराग पर निशाना साधा तो इसके जवाब में चिराग के करीबी और जमुई के सांसद अरुण भारती उतर आए। हाल ही में इन्होने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए मांझी को करारा जवाब दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दें,आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी NDA के अंदर समन्वय को लेकर सहयोगी दलों को आगाह कर चुके हैं। वहीँ अब सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या CM नीतीश कुमार बिहार चुनाव में NDA को एकजुट रख पाएंगे या नहीं?

चिराग पर साधा निशाना

आपकी जानकारी के लिए बता दें, य विवाद तब शुरू हुआ जब जीतन राम मांझी ने कहा, जो मजबूत होता है वो बोलता नहीं, जो कमजोर होता है वो बोलता है।जब समय आएगा तो हम अपनी बात रखेंगे। इतना ही नहीं इस दौरान मांझी ने चिराग पासवान की आरा रैली पर तंज कसते हुए कहा, मुझे पता है कि 20 गाड़ियां रखी जाती हैं जिसमें 10 नारे लगाने वालों की होती हैं। 10 एक जगह माहौल बनाते हैं और बाकी 10 दूसरी जगह। वहीँ इस दौरान मांझी ने दावा किया कि हम को लोकसभा चुनाव में दो सीटें और एक राज्यसभा सीट देने का वादा किया गया था, लेकिन कहा कि महज एक सीट मिलने पर भी वो चुप रही।

चिराग के समधी ने दिया करारा जवाब

इतना ही नहीं इस दौरान इमामगंज विधानसभा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रचार में शामिल नहीं हुए, फिर भी हम अनुशासित रहे। बताया जा रहा है कि इस बयान से मांझी ने चिराग की आक्रामक रणनीति और उनकी रैली की सफलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वहीँ फिर जीतन राम मांझी के इस बयान पर पलटवार करते हुए चिराग पासवान के समधी और जमुई से लोजपा सांसद अरुण भारती ने एक्स पर लिखा, चिराग जी की रैली की सफलता से अगर कुछ वरिष्ठ असहज हैं तो हम भी इसे आशीर्वाद ही मानते हैं। संघर्षशील समाज को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और मजबूत लोग तिरस्कार के बाद आराम करते हैं। उन्होंने रामायण की चौपाई ‘जाकी रही भावना जैसी…’ का हवाला देकर मांझी के बयान पर कटाक्ष किया।

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