गाजियाबाद/ग्रेटर नोएडा। दादरी में कार में जिंदा जलाकर मारे गए बिल्डर संजय यादव के शव को मौत के बाद घर के देहरी भी नसीब नही हुई है। उनके शव को शरीर का ज्यादातर हिस्सा जल जाने के कारण गौतमबुद्ध नगर में पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए घर लाने के बजाय सीधे बृजघाट ले जाया गया है।
जिस फॉर्च्यूनर कार में उनको जलाया गया है, वह चार माह पहले ही उन्होंने खरीदी थी। इस वारदात से परिवार में गम और गुस्सा है। जिस तरह से वारदात को अंजाम दिया गया है, उसको देखते हुए परिवार का ढांढस बंधाने पहुंचे लोगों ने हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने की मांग सरकार से की है।
संजय यादव का पैतृक गांव गौतमबुद्ध नगर स्थित पतवाड़ी है। शादी के बाद उनके पति धरमी यादव बम्हैटा गांव में आकर परिवार के साथ रहने लगे थे, गांव में उनकी जमीन थी। परिवार को जमीन का मुआवजा भी मिल चुका है। उनके पिता भाटिया मोड़ के पास दूध की डेयरी चलाते थे।
छह भाइयों में सबसे छोटे थे संजय
छह भाइयों में संजय सबसे छोटे थे, तीन भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी है। सभी भाइयों का परिवार अलग – अलग रहता है। भाई बबलू ने बताया कि संजय की शादी बागपत के बलेनी गांव में रहने वाली पूनम यादव से हुई थी, उनके एक बेटी और एक बेटा है।
संजय ने नेहरू नगर में पांच साल पहले ही मकान खरीदा है। वह सबसे पहले ब्याज पर रुपये देने का काम करते थे, बाद में प्रॉपर्टी डीलिंग के कार्य से जुड़े। वर्तमान में वह ब्याज पर रुपये देने के साथ ही बतौर बिल्डर कार्य कर रहे थे, गौतमबुद्ध नगर सहित अन्य जगह वह फ्लैट बनवाकर बेचते थे।
रुपये देने के लिए बुलाया और कर दी हत्या
मंगलवार दोपहर को ढाई बजे संजय यादव घर पर थे, इस दौरान उनके पास किसी जानकार का फोन आया और रुपये देने के लिए बुलाया। इसके बाद वह रात तक घर नहीं लौटे, स्वजन को चिंता हुई तो उन्होंने रिश्तेदारों और उनके दोस्तों सहित अन्य के फोन कर संजय के बारे में पूछा, लेकिन कुछ जानकारी नहीं हो सकी।
कार में जलाकर मारा।
बुधवार तड़के पुलिस के माध्यम से ही उनके परिवार को घटना के बारे में पता चला। इसके बाद स्वजन मौके पर पहुंचे। उन्होंने संजय की हत्या का आरोप लगाया है और कार्रवाई की मांग की है। परिवार वालों ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर ने दो आरोपितों को हिरासत में लेने की बात कही है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि संजय की हत्या किस वजह से और किसने की है।