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‘मेरा बेटा शहीद हुआ, पर सब-कुछ बहू लेकर चली गई’

‘मेरा बेटा शहीद हुआ, पर सब-कुछ बहू लेकर चली गई’

Capt. Anshuman Singh News: भारतीय सेना के शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता और उनकी विधवा पत्नी स्मृति सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं। अब शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू यानी स्मृति सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अंशुमान सिंह 2023 में सियाचिन में शहीद हो गए थे।

5 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था। ये सम्मान उनकी पत्नी स्मृति सिंह और उनकी मां मंजू देवी ने लिया था। सास और बहू की एक साथ भावुक तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई। लेकिन तस्वीरों में साथ दिखने वाले ये इन लोगों के रिश्ते में दरार आ गई है।

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने बहू पर लगाए गंभीर आरोप?
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता का कहना है कि उनका बेटा शहीद हुआ, लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं मिला है। उनका कहना है कि सम्मान और अनुग्रह राशि (मुआवजा) सबकुछ बहू लेकर चली गई है। उन्होंने कहा है कि उनका बेटा भी गया है और बहू भी चली गई है।

सियाचिन में 19 जुलाई 2023 को शहीद हुए कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने आर्मी में NOK के मापदंड को बदलने की मांग की है। पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा है कि उन्होंने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी इस मुद्दे पर चर्चा की है। राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया है कि वह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से इस मुद्दे पर बात करेंगे।

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता बोले- मेरे पास बेटे की सिर्फ तस्वीर है
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा, ”मैं माननीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी अवगत करा चुका हूं, ये NOK का जो निर्धारित मापदंड है, वो ठीक नहीं है…क्योंकि ये पांच महीने की जो शादी थी, कोई बच्चा नहीं है। मां-बाप के पास कुछ नहीं है। मेरे पास मेरे बेटे की तस्वीर के सिवा कुछ नहीं है।”

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता का दावा- बहू स्मृति सिंह तो घर छोड़कर भी चली गई
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता ने आगे कहा, ”मेरी बहू (अंशुमान सिंह की विधवा पत्नी) अपना एड्रेस भी चेंज करवा चुकी हैं। तो हमारे पास क्या है? तो ये मुद्दा सामने जरूर आया था कि इसमें चीजों में बदलाव आने की जरूरत है। जैसे 1999 की लड़ाई के बाद बदलाव हुआ था, इसमें भी बदलाव होना चाहिए। इसलिए इसमें NOK की परिभाषा सही से होनी चाहिए। इसमें अच्चे से जानकारी देनी चाहिए कि, परिवार और पत्नी के पास क्या-क्या रहेगा। इसमें हर एंगल को देखा जाना चाहिए…वरना मेरे जैसे लोग भोगते रहेंगे।”

शहीद कैप्टन अंशुमान के पिता दर्द- हमें तो बेटे का कीर्ति चक्र भी नहीं मिला
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता ने कहा, ”मेरी पत्नी मंजू देवी (अंशुमान सिंह की मां) कीर्ति चक्र लेते वक्त तो साथ थी लेकिन वो कीर्ति चक्र भी हमारे परिवार में नहीं है। मेरे बेटे के बक्से के ऊपर भी हम उसे नहीं लगा सकते हैं। मैंने इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी बात की थी। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि वो इसे रक्षा मंत्री राजनाथ तक जरूर बात करूंगा।”

कैप्टन अंशुमान की मां बोलीं- हमारे साथ जो हुआ, वो किसी के साथ नहीं होना चाहिए
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता ने यह भी कहा कि, ”हमारे साथ जो हुआ सो हुआ, लेकिन किसी और मां-बाप के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। मैं नहीं चाहती कि मेरे जैसे किसी को दुख पहुंचे। राहुल गांधी ने भी हमें भरोसा दिलाया है कि वो इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे और चर्चा करेंगे।”

जानिए क्या होता सेना में NOK?
सेना में NOK का फुलफॉर्म होता है Next TO Kin यानी निकटतम परिजन। किसी भी नौकरी या सेवा में यह सबसे पहले दर्ज किया जाता है। सरल शब्दों में कहें तो आप से इसे नॉमिनी भी कह सकते हैं। इसे कानूनी उत्तराधिकारी भी कहा जाता है। यानी जो शख्स सेवा में है , अगर उसे कुछ होता है कि तो उसको मिलने वाली अनुग्रह राशि या सभी देय राशि NOK को दी जाती है।

जब भारतीय सेना में किसी भी जवान की भर्ती होती है तो NOK में उसके माता-पिता या अभिभावक का नाम होता है। जब उस जवान की शादी हो जाती है तो विवाह और यूनिट भाग II के आदेशों के तहत उस व्यक्ति के परिजनों में माता-पिता की बजाय उसके जीवनसाथी का नाम दर्ज किया जाता है।

भारतीय सेना में शहीद को कितना मिलता है मुआवजा?
असल में नियमित सैनिकों की मृत्यु को पांच श्रेणियों में A से E तक बांटा जाता है। इसमें श्रेणी ए नियमित सैनिकों के लिए होता है। श्रेणी बी और सी में रखी गई मौतें सैन्य सेवा के कारण होती है। इसमें ड्यूटी पर दुर्घटनाएं शामिल हैं।

नियमित सैनिकों को 50 लाख का रुपये का बीमा मिलता है। वहीं अग्निवीर को 48 लाख रुपये का बीमा मिलता है। नियमित सैनिकों की अनुग्रह राशि (मुआवजा) 25 लाख से 35 लाख या 45 लाख रुपये तक हो सकती है। ये वो राशि है जो भारतीय सेना द्वारा दी जाती है। वहीं राज्य सरकार भी अपने राज्य के शहीद सैनिकों को अलग से मुआवजा देते हैं, ये राशि एक करोड़ तक होती है।

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