यदि बच्चा 7 साल की उम्र तक बैड वैटिंग करता है तो टेंशन नहीं लेना चाहिए। इस उम्र तक बच्चे टॉयलेट रोकना सीख जाते हैं। हालांकि सात से ऊपर होने के बाद भी यदि वह बेड गीला करता है तो ये दिक्कत वाली बात हो सकती है। ऐसे में आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

इसलिए बेड गीला करते हैं डॉक्टर

बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनका मूत्राशय रात को टॉयलेट रोकने के लिए पर्याप्‍त विकसित नहीं हो पाता है। यदि मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नसें धीरे-धीरे विकसित हो रही हैं तो टॉयलेट आने पर बच्चा नींद से उठ नहीं पाता है और गहरी नींद में उसकी पेशाब निकल जाती है।

बचपन में रात को कम टॉयलेट आने के लिए कुछ बच्‍चों की बॉडी में पर्याप्त मूत्र-रोधी हॉर्मोन विकसित नहीं हो पाते हैं। वहीं मूत्रमार्ग में संक्रमण हो तो भी बच्चे को टॉयलेट कंट्रोल करने में समस्या आती है। स्‍लीप एप्निया में नींद में सांस लेने में प्रॉबलम आती है। इसमें कई बार सोते समय टॉयलेट निकल जाता है।

डायबिटीज, लंबे समय से कब्‍ज, मूत्र मार्ग या नर्वस सिस्टम की संरचना में प्रॉबलम होने पर भी बच्‍चा रात में बिस्‍तर गीला कर सकता है।

इन उपायों से बेड गीला नहीं करेंगे बच्चे

यदि बच्चा रात में बेड गीला करता है तो कुछ उपायों से उसकी ये आदत बदली जा सकती है। जैसे बाथरूम को कमरे से अधिक दूर नहीं होना चाहिए। बाथरूम ऐसी जगह न रखें जहां जाने में बच्चे को डर लगे। यदि वह रात में उठकर टॉयलेट जाने में डरता है तो आप उसे अपने साथ ले जाएं।

कमरे में रात को एक हल्‍का बल्‍ब जलाकर रखें। बच्‍चे को दिन में अधिक पानी दें। इससे रात में टॉयलेट कम आएगी। बच्चे को बचपन से ही बाथरूम और टॉयलेट ट्रेनिंग देना शुरू कर दें।

कब दिखाएं डॉक्टर को?

वैसे तो ज्यादातर बच्चे खुद ही इस समस्या से बाहर निकल जाते है, लेकिन कुछ तो दूसरों की मदद की जरूरत पढ़ती है। यदि हेल्थ संबंधित समस्या के चलते उसे दिक्कत हो रही है तो डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।

यदि बच्चा 7 साल से अधिक का है और बेड गीला करता है तो डॉक्टर से मिलिए। वहीं टॉयलेट करने में दर्द, बहुत ज्‍यादा प्‍यास लगना, गुलाबी या लाल रंग का टॉयलेट आना, खर्राटे लेने में समस्या आना, इत्यादि स्थिति में भी डॉक्टर की सलाह लें।