
News India Live, Digital Desk: Paschimottanasana : आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कमर दर्द, पीठ में अकड़न, साइटिका का दर्द और मानसिक तनाव बहुत आम हो गया है। घंटों कुर्सी पर बैठकर काम करना, गलत पॉस्चर (शरीर की मुद्रा) और लगातार बढ़ता तनाव, इन सभी समस्याओं की जड़ हैं। लेकिन अगर मैं कहूं कि एक बेहद सरल और आसानी से किया जाने वाला योगासन इन सभी परेशानियों से आपको मुक्ति दिला सकता है, तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘पश्चिमोत्तानासन’ (Paschimottanasana) की, जिसे ‘सीटेड फॉरवर्ड बेंड पोज’ (Seated Forward Bend Pose) भी कहते हैं।
यह योगासन जितना साधारण दिखता है, उतने ही गहरे इसके फायदे हैं, जो शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी शांत और स्वस्थ रखते हैं।
- कमर और पीठ दर्द से छुटकारा:
- यह आसन रीढ़ की हड्डी को अच्छे से स्ट्रेच करता है, जिससे पीठ और कमर की अकड़न दूर होती है। उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जो घंटों बैठे रहते हैं।
- साइटिका के दर्द में राहत:
- यह हैमस्ट्रिंग (जांघों के पीछे की नसें) और पिंडलियों को भी स्ट्रेच करता है, जिससे साइटिक नर्व (Sciatic nerve) पर पड़ने वाला दबाव कम होता है। साइटिका के रोगियों को इससे काफी आराम मिलता है।
- पाचन में सुधार:
- पश्चिमोत्तानासन पेट के अंगों पर हल्का दबाव डालता है, जिससे पाचन तंत्र उत्तेजित होता है। यह कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है और मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है।
- मानसिक शांति और तनाव मुक्ति:
- यह फॉरवर्ड बेंडिंग आसन मन को शांत करने में मदद करता है। तनाव, चिंता और डिप्रेशन को कम करने में यह बहुत प्रभावी है। नियमित अभ्यास से मन स्थिर और शांत रहता है।
- पेट की चर्बी कम करना:
- पेट के हिस्से पर पड़ने वाले दबाव से अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद मिलती है।
- किडनी और लीवर की सक्रियता:
- यह आंतरिक अंगों की मालिश करता है, जिससे किडनी और लीवर बेहतर तरीके से काम करते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों (toxins) को निकालने में मदद मिलती है।
- जांघों और पिंडलियों की मांसपेशियों को मज़बूती:
- पैरों की पिछली मांसपेशियों को लंबा और मजबूत बनाता है।
कैसे करें पश्चिमोत्तानासन? (सही तरीका अपनाना है जरूरी)
- एक समतल जगह पर चटाई बिछाकर पैरों को सीधा फैलाकर बैठ जाएं, दोनों पैर आपस में सटे हुए और पंजे बाहर की ओर हों। रीढ़ सीधी रखें।
- गहरी सांस लें और दोनों हाथों को ऊपर उठाएं।
- सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे की ओर झुकें, अपनी जांघों पर पेट टिकाएं।
- अपने हाथों से पैर के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें (शुरुआत में अगर पैर के अंगूठे तक न पहुंच पाएं, तो जितनी दूर तक पहुंच सकते हैं, उतनी दूर तक हाथों को बढ़ाएं)। ध्यान रहे, पीठ को सीधा रखने की कोशिश करें, झुकाकर न करें।
- अपने सिर को घुटनों की ओर लाएं।
- इस स्थिति में 30 सेकंड से 1 मिनट तक रुकें और सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
- सांस लेते हुए धीरे-धीरे वापस सामान्य मुद्रा में आएं।
- शुरुआत में थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन नियमित अभ्यास से लचीलापन बढ़ेगा।
सावधानी: अगर आपको हाल ही में रीढ़ की हड्डी या पेट की कोई सर्जरी हुई हो, तो इसे न करें। गर्भावस्था के दौरान या बहुत ज्यादा कमर दर्द होने पर डॉक्टर या योग गुरु की सलाह ज़रूर लें।
रोजाना बस 10-15 मिनट का ये आसन आपको स्वस्थ, सक्रिय और तनावमुक्त जीवन दे सकता है! आज ही अपनी दिनचर्या में इसे शामिल करें।