लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले बढ़ते जा रहे हैं। खासकर मनचले लड़कियों को अकेला पाकर उनको परेशान करते हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा का मुद्दा बहुत अहम हो गया है। वैसे अब लड़कियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। छत्तीसगढ़ की एक युवती ने उनकी परेशानी को समझा और ‘मजनूमार’ डिवाइस बना दी।
अब मजनुओं की खैर नहीं है क्योंकि ‘मजनूमार’ डिवाइस उनको सबक सिखाने के लिए तैयार है। अब किसी भी राह चलती लड़की को छेड़ा तो उसकी रक्षा करने के लिए ये डिवाइस ही काफी है। इसका इस्तेमाल मनचले को ऐसा बेहाल कर देगा कि लड़की के पास आराम से वहां से निकलने के लिए समय होगा। इस डिवाइस ने जापान को भी प्रभावित किया है।
धमतरी की सिद्धी पांडेय ने बनाई डिवाइस
‘मजनूमार’ डिवाइस को धमतरी की सिद्धी पांडेय नाम की लड़की ने बनाया है। इसकी मदद से महिला अपराधों पर लगाम लग सकती है। वहीं महिला सुरक्षा के नजरिए से ये डिवाइस कमाल कर सकती है। सिद्धी ने इस डिवाइस को सिर्फ मच्छर मारने वाले रैकेट की किट का प्रयोग कर बनाया है।
धमतरी के इस आविष्कार की देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी तारीफ हो रही है। इसकी मांग भी बढ़ रही है। उन्होंने ‘मजनूमार’ किट में दो चीजों को बनाया है। इसमें पहली सेंडल है जो खास तरह से प्रयोग करने पर मनचले को बेहाल कर देगी। दूसरा वुमन सेफ्टी पर्स है जिसमें गजब का जुगाड़ लगाया गया है।
जानें कैसे काम करती है डिवाइस
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर ये डिवाइस काम कैसे करती है। रिद्धी ने बड़ी कुशलता से इस डिवाइस को बनाया है। इसमें पहली किट वुमन सेफ्टी सैंडल है। अगर कोई मनचला किसी लड़की को छेड़ने की कोशिश करता है तो ये सेंडल उसको एक हजार वोल्ट का झटका दे सकती है।
इतना तगड़ा झटका लगने पर वो कुछ समय के लिए होश में नहीं रहेगा और लड़की वहां से निकल जाएगी। वहीं दूसरी किट में सेफ्टी पर्स है। इसमें कोई लड़की अकेली है और मजनू उसे घेर लेते हैं तो इसका सीक्रेट बटन दबाने पर पुलिस सायरन का साउंड बजने लगेगा। इस आवाज से मनचले डरकर भाग जाएंगे।
जानें कैसे बनाई रिद्धी ने डिवाइस
रिद्धी ने मच्छर वाली रैकेट का प्रयोग किया। उन्होंने इसकी किट को सेंडल के सोल में लगाया और झटका देने वाली खास सेंडल बन गई। इसकी बैटरी रिचार्ज हो सकती है। वहीं पर्स में भी जीपीएस लगा हुआ है। मुसीबत के समय घरवालों को इस डिवाइस से लड़की की लोकेशन मिल सकती है। वो समय पर उस तक पहुंच सकते हैं।
आपको बता दें कि इस डिवाइस के लिए सिर्फ 750 रुपये ही खर्च आता है। रिद्धी की इस डिवाइस से जापान भी प्रभावित है। उसको जापान ने डिवाइस के प्रदर्शन के लिए बुलाया है। रिद्धी के परिवार की बात करें तो वो मध्यमवर्गीय परिवार से है। उसके पिता नीरज पांडेय हैं जो गौशाला में काम करते हैं। उनको भी अपनी बेटी की उपलब्धि पर गर्व है।