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सिर्फ एक रात के लिए दुल्‍हन बनते हैं किन्‍नर, पर दूल्‍हा कौन बनता है? जानकर होंगे हैरान…

सिर्फ एक रात के लिए दुल्‍हन बनते हैं किन्‍नर, पर दूल्‍हा कौन बनता है? जानकर होंगे हैरान…
सिर्फ एक रात के लिए दुल्‍हन बनते हैं किन्‍नर, पर दूल्‍हा कौन बनता है? जानकर होंगे हैरान…
Kinnar Marriage: किन्नरों के भी कई रीति-रिवाज होते हैं. ऐसा ही एक रिवाज है किन्‍नरों का विवाह. सुनकर कई लोगों को आश्‍चर्य होगा लेकिन यह बात सच है कि किन्‍नरों की भी शादी होती है. यह विवाह केवल एक रात के लिए ही होता है, अगले दिन किन्‍नर विधवा बनकर मातम मनाते हैं. आइए जानते हैं कि किन्‍नर ऐसी शादी क्‍यों करते हैं और उससे भी बड़ी बात कि किन्‍नर की शादी होती किससे है. किन्‍नर के विवाह में दूल्‍हा कौन बनता है. जानिए वह पौराणिक कथा जो इसके पीछे वजह है.

किन्‍नर के विवाह के पीछे कारण महाभारत काल की एक घटना है. दरअसल, जब महाभारत युद्ध होने वाला था तो पांडवों ने जीत के लिए एक अनुष्‍ठान किया. इस अनुष्‍ठान में बलि दी जानी थी, तब ये सवाल आया कि कौन अपनी बलि देगा. तब अर्जुन और नागकन्‍या उलूपी के बेटे इरावन ने अपनी बलि देने की बात कही. लेकिन साथ ही एक शर्त रख दी कि वह बलि देने से पहले विवाह करना चाहता है. तब सभी चिंता में पड़ गए कि एक दिन के लिए कौन राजकुमारी इरावन से विवाह करेगी. तब भगवान श्रीकृष्‍ण ने मोहिनी रूप रखकर इरावन से विवाह किया. फिर अगले ही दिन इरावन ने अपनी बलि दे दी. इरावन को अरावन भी कहा जाता है.

किन्‍नर समाज के देवता हैं इरावन

किन्‍नर समाज इरावन को अपना देवता मानता है और वे अपने इरावन देवता से ही एक रात के लिए शादी करते हैं. अगले दिन वे विधवा होकर अपने पति की मौत का मातम मनाते हैं. हर साल तम‌िलनाडु के कूवगाम में त‌म‌िल नव वर्ष की प्रथम पूर्ण‌िमा से किन्नरों की शादी का सामारोह शुरू होता है जो कि 18 दिन तक चलता है.

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