घर की रौनक घर के बड़े बुजुर्गों से ही होती है। एक जमाना था जब लोग अपने माता-पिता के लिए जान तक दे देते थे। लेकिन आज के जमाने में उन्हें पेरेंट्स की देखरेख और दो वक्त की रोटी खिलाना भी महंगा पड़ता है। इतना ही नहीं वह बुजुर्गों को घर में वह मान सम्मान भी नहीं देते जिसके वे हकदार होते हैं। हालांकि बाद में उन्हें अपनी गलती का एहसास जरूर होता है।
बहू ने ससुर को नहीं दिया दही
एक समय की बात है। एक घर में एक बुजुर्ग शख्स रहता था। उसकी पत्नी का देहांत कुछ सालों पहले हो चुका था। उसका मार्केट में एक अच्छा खासा और जमा जमाया कारोबार था। बूढ़े होने पर उसके बेटे ने ये कारोबार संभाल लिया। कुछ समय बाद बुजुर्ग ने एक अच्छा परिवार देख बेटे की शादी कर दी। नई बहू मॉडर्न जमाने की और पढ़ी लिखी थी।
बेटे की शादी को लगभग एक साल हो गए। एक दिन शाम को बुजुर्ग शख्स भोजन करने बैठा। इस दौरान उसका बेटा भी दुकान से घर आ गया और हाथ मुंह धोकर खाने की तैयारी करने लगा। इधर खाना खा रहे बुजुर्ग शख्स ने अपनी बहू से एक कटोरी दही मांगा। लेकिन बहू ने कहा कि दही नहीं है, खत्म हो गया है। इस पर बुजुर्ग बिना दही के भोजन कर अपने कमरे में चला गया।
बहू को ऐसे पता चली एक कटोरी दही की कीमत
फिर बुजुर्ग का बेटा भोजन करने बैठा। जब उसकी पत्नी ने थाली परोसी तो उसमें दही की कटोरी भी थी। यह देख बेटा उस समय चुप रहा और भोजन कर लिया। फिर अगले दिन उसने पिताजी से कहा कि मैं आपकी दुकान में एक मालिक नहीं बल्कि कर्मचारी की तरह नौकरी करना चाहता हूँ। इससे मेरी बीवी को एक कटोरी दही की कीमत पता चलेगी।
बेटे ने कहा कि पिताजी मैं आज जो भी हूँ आपकी वजह से ही हूँ। मुझे आप से जमा जमाया कारोबार मिल गया। इस कारोबार के गुण भी आप ही से सीखे। ऐसे में यदि मैं आपको एक कटोरी दही भी न दे सका तो मुझ पर लानत है। ये सारी बातें बहू ने भी सुन ली। उसे गलती का एहसास हुआ और उसने ससुर से माफी मांगी।
कहानी की सीख
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि हमे अपनें घर के बड़े बुजुर्गों का ख्याल रखना चाहिए। उनकी जरूरत का हर सामान उन्हें मुहैया कराना चाहिए। उन्हें मान सम्मान देना चाहिए। छोटी छोटी बातों पर उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए। बूढ़ा एक दिन सभी को होना है। कल को जब हम बूढ़े होंगे तो शायद हमे भी इस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसे भी जरूर पढ़ें –