Himachali Khabar
वर्तमान भाजपा सरकार में अफसरशाही इस कद्र हावी है कि अधिकारी सीएम तक के आदेशों की भी परवाह नहीं करते। जिसका ताजा उदाहरण है गांव माखोसरानी के विद्यार्थियों द्वारा सीएम को बस चलाने के लिए दिए गए मांग पत्र पर सीएम के आदेशों के बाद भी अधिकारियों द्वारा बस न चलाना। गांव माखोसरानी निवासी राहुल सुथार, अजय, राजेन्द्र, सोनू ने बताया कि वे गांव माखोसरानी के निवासी हैं। गांव में बस समस्या को लेकर वे सीएम से चंडीगढ़ सीएम हाउस में मिले थे और सीएम से निवेदन किया था कि हमारे गांव में छात्र-छात्राओं को बस में लटक कर शिक्षा के लिए जाना पड़ता है और शाम को जाने के लिए कोई बस नहीं है।
पहले हमारे गांव में बस रात को रुकतीं थी, जिसे बंद कर दिया गया। सीएम ने समस्या को देखते हुए उनकी शिकायत को सिरसा के रोडवेज महाप्रबंधक को मार्क कर दिया। कुछ दिन बाद हमारे पास सिरसा रोडवेज से फोन आया और उन्हें बस स्टेंड में बुलाया। जब वे महाप्रबंधक के पास गए तो महा प्रबंधक ने बस चलाने से स्पष्ट इनकार कर दिया। इसके बाद हम दोबारा मु यमंत्री से फिर मिले और मु यमंत्री को बताया कि महाप्रबंधक ने कहा है कि मु यमंत्री से ही बस चलवा लेना। सीएम ने हमारी बात को सुनते हुऐ दूसरी बार फिर शिकायत को सिरसा डिपो में भेज दिया। हमें फोन कर फिर से बुलाया गया। सुधीर कुमार यातायात प्रबंधक एक महिला क्लर्क वहां बैठी हुई थी। दोनों ने हमें धमकाया और कहा कि आप पर मुकदमा दर्ज कराएंगे। मुकदमा दर्ज करने की धमकी की शिकायत उन्होंने सीएम विंडो पर कर दी, लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
27 अप्रैल को सीएम फिर साइक्लोथॉन के लिए सिरसा आए और हमने फिर से शिकायत दी, जिस पर उन्होंने फिर से आश्वासन दिया। विद्यार्थियों का कहना है कि जब बस नहीं चलानी तो हमारे गांव के विद्यार्थियों के पास क्यों बनाए जाते हैं। यातायात प्रबंधक ने सरकार को झूठी रिपोर्ट दी कि माखोसरानी गांव में हर 15 मिनट में बस आती जब माखोसरानी में हर 15 मिनट में बस है तो वहां जरूरत नहीं है। यातायात प्रबंधक सुधीर कुमार को जनता से व छात्र-छात्राओं से कोई लेना देना नहीं है। उनकी सीएम से मांग है कि विद्यार्थियों की समस्याओं को देखते हुए पूर्व की भांति बस सेवा बहाल की जाए।