Gratuity Rules: सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। हाल ही में हाईकोर्ट ने ग्रेच्युटी (Gratuity) को लेकर कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि योग्य कर्मचारियों को उनके ग्रेच्युटी भुगतान में कोई कटौती नहीं की जा सकती और उन्हें पूरा लाभ मिलना चाहिए।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि अगर कोई कर्मचारी न्यूनतम आवश्यक सेवा अवधि पूरी कर चुका है, तो उसे पूरी ग्रेच्युटी राशि का भुगतान अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए। नियोक्ता किसी भी स्थिति में ग्रेच्युटी देने से इनकार नहीं कर सकते, चाहे कंपनी की आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।
ग्रेच्युटी कब मिलती है?
ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक कंपनी या संगठन में सेवा करनी होती है। इसके बाद कर्मचारी नौकरी छोड़ने, रिटायरमेंट या मृत्यु के मामले में ग्रेच्युटी का हकदार होता है।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे होती है?
ग्रेच्युटी की गणना इस फॉर्मूले से होती है:
(अंतिम बेसिक सैलरी + डीए) × काम किए गए वर्ष × 15/26
उदाहरण: अगर किसी कर्मचारी का अंतिम बेसिक + डीए ₹30,000 है और उसने 10 साल काम किया है तो ग्रेच्युटी होगी:
(30,000 × 10 × 15) ÷ 26 = ₹1,73,076
नया फायदा कर्मचारियों को
इस फैसले के बाद अब नियोक्ताओं द्वारा ग्रेच्युटी रोकने, कम करने या देरी करने के मामले में कर्मचारी सीधे कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि लेट पेमेंट पर नियोक्ता को ब्याज भी देना होगा।
किन्हें मिलेगा फायदा?
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सरकारी कर्मचारी
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निजी क्षेत्र के कर्मचारी (जहां 10 से ज्यादा कर्मचारी कार्यरत हैं)
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रिटायरमेंट, नौकरी छोड़ने और मृत्यु वाले मामलों में
हाईकोर्ट का यह फैसला देश भर के लाखों कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है। अब ग्रेच्युटी पाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत या अनावश्यक देरी नहीं होगी।