आचार्य चाणक्य से भला कौन अपरिचित होगा? आचार्य चाणक्य की बुद्धिमत्ता की ही देन कहीं न कहीं मौर्य साम्राज्य है और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक के साथ-साथ चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में उन्हें पहचाना जाता है। बता दें कि आचार्य चाणक्य ने हमारे जीवन से संबंधी कई नीतियां बताई है और इन नीतियां पर भले ही कई लोग यकीन न करें या उन्हें सही न लगे लेकिन उनके द्वारा

बताई गई कई बातें हमारे जीवन में किसी न किसी तरीके से सच्चाई जरूरी दिखलाती और आज की भागदौड़ भरी जिदंगी में उनके विचार हमें सत्य की कसौटी पर खरे उतरने के लिए राह दिखाते हैं और हमें यह बताते हैं कि कैसे अपना जीवन हम सुदृढ और व्यवस्थित बना सकते हैं।

इतना ही नहीं आचार्य चाणक्य ने हमें यह भी बतलाया है कि कुछ चीजें ऐसी भी होती है। जिनका निर्धारण मनुष्य के हाथ मे नहीं होता। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन संबंधी कई अन्य बातों का उल्लेख अपनी रचनाओं में किया है।

चाणक्य नीति उनकी प्रसिद्ध कृति रही है और इसी के अंतर्गत वे बताते हैं कि, “मनुष्य के जन्म लेने से पहले ही कुछ चीजें मनुष्य के भाग्य में लिख दी जाती हैं।” आइए ऐसे में हम इसे श्लोक के माध्यम से समझते हैं…

आचार्य चाणक्य अपने एक श्लोक में लिखते हैं कि, “आयुः कर्म वित्तञ्च विद्या निधनमेव च। पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः॥” अर्थात आयु, कर्म, वित्त, विद्या, निधन ये पांचों चीजें प्राणी के भाग्य में तभी लिख दी जाती हैं, जब वह गर्भ में ही रहता है।

वैसे देखें तो यह बात निश्चित ही सत्य है, क्योंकि व्यक्ति अपने कर्म और मौत आदि को पैसे के बल पर बदल नहीं सकता। ऐसे में आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक के द्वारा यह बताया है कि, ” जब कोई मनुष्य मां के गर्भ में होता है। उसी दरमियान उसके भाग्य का निधारण हो जाता है। इतना ही नहीं जन्म से पहले ही उसकी उम्र, कर्म, आर्थिक स्थिति, विद्या आदि का भी निर्धारण हो जाता है।

” ऐसे में अगर आपके जीवन में कभी उतार-चढ़ाव आए तो उससे घबराना नहीं चाहिए और सदैव सदाचार के रास्ते पर चलते हुए जीवन यापन करना चाहिए, क्योंकि कुछ बातें अपने हाथ में नहीं होती और उसको लेकर रोते रहने से जीवन और दुखमय ही बनता है, ना कि उसमें सुधार आता है। इसे भी जरूर पढ़ें –