‘हिंदुओं मैं फिर से कहता हूं कांग्रेस तुम्हारी पार्टी नहीं…’, सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता सगीर सैयद खान का …

 

‘हिंदुओं मैं फिर से कहता हूं कांग्रेस तुम्हारी पार्टी नहीं…’, सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता सगीर सैयद खान का …

जम्मू कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी? इस सवाल का जवाब 4 अक्टूबर को मिल जाएगा. इस बीच सभी पार्टियों में चुनावी प्रसार करना तेजी से करना शुरू कर दिया है इस बीच सभी पार्टी अपनी- अपनी पार्टी को लेकर सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है.

इस बीच एक विवादित बयान सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आया है जिसमें जम्मू- कश्मीर को चुनाव को देखते हुए मुद्दा गरमाता हुआ नजर आ रहा है. कांग्रेस नेता ने कहा कि सगीर सैयद खान ने जो बयान दिया है, उसमें जेल में बंद आतंकवादियों को रिहा करने, उनके परिवारों को एक करोड़ रुपये देने और मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को भी मुआवजा देने की बात की गई है.

सोशल मीडिया यूजर्स जितेंद्र प्रताप सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि, जेल में बंद सभी आतंकियों को रिहा किया जाएगा, आतंकियों के परिवार वालों को एक करोड रुपए दिए जाएंगे और जिन आतंकियों को एनकाउंटर में मारा गया है उनके परिवार वालों को भी एक करोड रुपए दिए जाएंगे.

गौरतलब है कि सगीर सैयद खान राहुल गांधी के बड़े करीबी हैं और राहुल गांधी ने इन्हें जम्मू कश्मीर का मेनिफेस्टो बनाने की जिम्मेदारी दिया है. हिंदुओं, मैं फिर से कहता हूं कांग्रेस तुम्हारी पार्टी नहीं है .कांग्रेस तुम्हें बर्बाद करने के लिए बनी है. कांग्रेस मतलब हिंदुओं की बर्बादी, कांग्रेस मतलब भारत की बर्बादी, कांग्रेस मतलब जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान के हवाले करना. 

कांग्रेस नेता सगीर सैयद खान ने कहा कि हम चाहते हैं कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो ये जो खून खराबा करा रही है भारतीय जनता पार्टी इसका अंत होगा और जो लोग इसमें मारे गए आतंकवाद के नाम में जेल में बंद है उन्हें सबको जेल से छुड़ाया जाएगा. आतंकवाद से मारे गए लोगों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलेगा. 

आगे उन्होंने कहा कि ‘जब बुलंद शहर में अंदर बजरंग दल के आतंकवादियों को RSS के आतंकवादियों को भाजपा के आतंकवादियों को मुआवजा मिल सकता है तो कश्मीर के लोगों को मुआवजा क्यों नहीं मिलेगा? अगर कांग्रेस की सरकार आई तो.’

कांग्रेस नेता सगीर सैयद खान द्वारा दिए गए, काफी गंभीर हैं और जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव के माहौल को प्रभावित कर सकते हैं. इस तरह के बयान अक्सर चुनावी प्रचार में विवाद और गर्मागरमी का कारण बनते हैं, विशेषकर जब यह संवेदनशील मुद्दों पर आधारित हो.

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