- आज हम आपको ऐसी औषधि के बारे में बताएँगे की जो शारीरिक कमज़ोरी को जड़ से मिटा देगी और दुबले व्यक्ति को बलवान बनाती है। इसे अतिबला (Horndeameaved Sida) या खिरैटी के नाम से जाना जाता है।
- इसे हिंदी में खरैट, वरयारी, वरियार आदि नामो से जाना जाता है। ये पौष्टिक गुणों से भरपूर है ये आयुर्वेद में बाजीकरण के रूप में भी प्रयुक्त की जाती है इसका प्रयोग शारीरिक दुर्बलता दूर करने के अलावा अन्य व्याधियों को भी दूर करने में किया जाता है।सामान्यत: ये गाँव में खेतों के आस-पास आसानी से मिल जाती है लेकिन आपको ना मिले तो आप इसे पंसारी की दुकान से ख़रीद सकते है।
अतिबला (Horndeameaved Sida) या खिरैटी के 9 अद्भुत फ़ायदे
- शरीर को शक्तिशाली बनाना : शरीर में कम ताकत होने पर खिरैंटी के बीजों को पकाकर खाने से शरीर में ताकत बढ़ जाती है। या खिरैंटी की जड़ की छाल को पीसकर दूध में उबालें। इसमें घी मिलाकर पीने से शरीर में शक्ति का विकास होता है।
- श्वेतप्र-दर : बला की जड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद के साथ 3 ग्राम की मात्रा में दूध में मिलाकर सेवन करने से श्वेतप्र-दर में लाभ प्राप्त होता है। ये माता-बहन की इस समस्या में संजीवनी बूटी की तरह काम करता है।
- बवासीर : अतिबला के पत्तों को पानी में उबालकर उसे अच्छी तरह से मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में उचित मात्रा में ताड़ का गुड़ मिलाकर पीयें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
- प्रतिरोधक क्षमता : अतिबला के बीज 4 से 8 ग्राम सुबह-शाम मिश्री मिले गर्म दूध के साथ खाने से कमज़ोरी को समाप्त करने में पूरा लाभ होता है।
- दस्त : अतिबला के पत्तों को देशी घी में मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पित्त के उत्पन्न दस्त में लाभ होता है।
- मसूढ़ों की सूजन : अतिबला के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन 3 से 4 बार कुल्ला करें। रोजाना प्रयोग करने से मसूढ़ों की सूजन व मसूढ़ों का ढीलापन खत्म होता है।
- पेशाब का बार-बार आना : खरैटी की जड़ की छाल का चूर्ण यदि चीनी के साथ सेवन करें तो पेशाब के बार-बार आने की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
- दुबलापन दूर करे : शरीरिक कमजोरी के लिए आधा चम्मच की मात्रा में इसकी जड़ का महीन पिसा हुआ चूर्ण सुबह-शाम मीठे हल्के गर्म दूध के साथ लेने और भोजन में दूध-चावल की खीर शामिल कर खाने से शरीर का दुबलापन दूर होता है शरीर सुडौल बनता है। बल तथा ओज बढ़ता है।
- जीवन को निरोग करने वाला चूर्ण : नागबला, अतिबला, कौंच के शुद्ध छिलका रहित बीज, शतावर, तालमखाना और गोखरू इन सब को बराबर वजन में लेकर कूट-पीस-छानकर महीन चूर्ण करके मिला लें और छन्नी से तीन-चार बार छान लें ताकि सब द्रव्य अच्छी तरह मिलकर एक जान हो जाएं। यह चूर्ण एक-एक चम्मच सुबह-शाम या रात को सोते समय मिश्री मिले कुनकुने गर्म दूध के साथ पीने से बहुत बल और शक्ति की वृद्धि होती है। जीवन से हतास रोगी पुरुषों के लिए यह योग आयुर्वेद में वरदान के समान है यह योग बना-बनाया बाजार में आयुर्वेदिक दवा विक्रेता के यहां इसी गोक्षुरादि चूर्ण नाम से मिलता हैं।
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