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हिमाचल में दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर, भविष्य बताती है झील..!

हिमाचल में दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर, भविष्य बताती है झील..!

हिमाचल में दुनिया का सबसे ऊंचा कृष्ण मंदिर, भविष्य बताती है झील..!

Shri Krishna

हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। पूरे देश में इन दिनों श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को लेकर धूम मची हुई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में भी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अक्सर हम देखते हैं कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण भगवान के मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने पहुंचते हैं।

आज हम आपको श्रीकृष्ण भगवान के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे- जिसे भारत का सबसे ऊंचाई पर बना श्रीकृष्ण मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन दर्शन करने के लिए लोगों की काफी भीड़ उमड़ती है। हम आपको इस मंदिर से जुड़ी मान्यता और कहानी के बारे में बताएंगे।

श्रीकृष्ण का सबसे ऊंचा मंदिर

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आपको बता दें कि श्रीकृष्ण का यह मंदिर किन्नौर के निचार में यूला कांडा में स्थित है। समुद्र तल से यूला कांडा की ऊंचाई 12000 हजार फीट है। यह मंदिर किन्नौर जिला की रोरा घाटी में पड़ता है। यूला कांडा मंदिर चारों ओर से हरे-भरे वनों, बर्फीली चोटियों और घास के मैदानों से घिरा हुआ है। यहां का वातावरण शुद्ध और शांतिपूर्ण है, जो मन को शांति और आध्यात्मिकता से भर देता है।

क्या है झील की कहानी?

मंदिर युला कुंडा झील के बीचोंबीच है। कहा जाता है कि इस झील का निर्माण पांडवों ने अपने वनवास के दौरान किया था- जो कि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित थी। इसे काफी पवित्र माना जाता है।

झील बताती है भविष्य

इस झील में दूरदराज के लोग अपना भविष्य जानने के लिए आते हैं। जन्माष्टमी के दिन झील में किन्नौरी टोपी उल्टी करके डाली जाती है। मान्यता है कि अगर यह टोपी बिना डूबे तैरती हुई किनारे तक पहुंच जाए तो आपका आने वाला समय अच्छा रहेगा। मगर अगर टोपी झील में डूब गई तो आपके लिए आने वाला साल अशुभ माना जाता है।

अगर डूब जाती है टोपी

ऐसे में अगर किसी की टोपी डूब जाती है तो वह लोग भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर माफी मांगते हैं और अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

बड़ी संख्या में उमड़ती है भीड़

इस मंदिर में विशेष रूप से जन्माष्टमी के अवसर पर पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। इस दौरान यहां भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है और मंदिर में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

स्थानीय संस्कृति से जुड़ाव:

यूला कांडा मंदिर स्थानीय किन्नौरी संस्कृति और धार्मिक आस्था का केंद्र है। यहां के लोग इस मंदिर को अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।

मंदिर से जुड़ी प्रमुख मान्यताएं:

  • पांडवों से जुड़ी कथा-
मान्यता है कि महाभारत काल के दौरान, जब पांडव अपने वनवास के दौरान हिमालय के विभिन्न क्षेत्रों में घूम रहे थे, तब वे किन्नौर के इस क्षेत्र में भी आए थे। कहा जाता है कि पांडवों ने यूला कांडा के इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की थी। इस कारण से, यह स्थान और यहां का मंदिर अत्यंत पवित्र माना जाता है।
  • भगवान श्रीकृष्ण का दिव्य स्थान:
किन्नौर के स्थानीय लोग मानते हैं कि यूला कांडा का यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण का एक दिव्य स्थान है, जहाँ वे स्वयं विराजमान होते हैं। इसे श्रीकृष्ण की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने का विशेष स्थान माना जाता है, और यहाँ पूजा करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
  • मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण:
एक और मान्यता है कि इस मंदिर की सुरक्षा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण करते हैं। कहा जाता है कि कोई भी व्यक्ति इस मंदिर को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करता है, तो उसे दिव्य दंड का सामना करना पड़ता है। इस मान्यता के कारण स्थानीय लोग मंदिर के प्रति अत्यधिक श्रद्धा और सम्मान रखते हैं।
  • स्थानीय देवी-देवताओं के साथ संबंध:
यूला कांडा का यह मंदिर स्थानीय किन्नौरी देवताओं के साथ भी जुड़ा हुआ है। किन्नौर के लोग भगवान श्रीकृष्ण को अपने कुलदेवता के रूप में मानते हैं और यह मंदिर उनकी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ के विभिन्न त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में इस मंदिर का विशेष महत्व होता है।
  • अक्षय पुण्य की प्राप्ति:
यह मान्यता है कि जो भक्तगण कठिन यात्रा करके इस मंदिर में पहुँचते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस मंदिर के दर्शन से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।

कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को सुबह 3 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 27 अगस्त को सुबह 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त यानी सोमवार को मनाया जाएगा।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूजन का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की दोपहर 12 बजे से 27 अगस्त की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत का पारण 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 38 मिनट के बाद किया जाएगा।

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