Ajab GazabHealthIndiaTrendingViral

शराब में बर्फ डालकर पीने वाले ज्यादातर नहीं जानते ये बात, रिसर्च में हुआ खुलासा….

शराब में बर्फ डालकर पीने वाले ज्यादातर नहीं जानते ये बात, रिसर्च में हुआ खुलासा….

जैसे ही शराब का नाम आता है पीने वालों के कान खड़े हो जाते हैं। लेकिन शराब पीना एक अगल बात है और शराब से जुड़ी हर प्रकार की जानकारी रखना एक अलग बात है। शराब को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। जिनके बारे में वह जानना चाहते हैं कुछ का कहना है कि शराब में पानी मिलाना चाहिए या नहीं? वहीं, बहुत से लोग इस बात पर बहस करते हैं कि व्हिस्की में बर्फ (liquor with ice) डालकर नहीं पीनी चाहिए? लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों नहीं करना चाहि। चलिए खबर में विस्तार से समझते हैं – 

शराब में बर्फ डालकर पीने वाले ज्यादातर नहीं जानते ये बात, रिसर्च में हुआ खुलासा….

दुनिया भर के व्हिस्की (whiskey) पीने वालों के बीच आज भी एक बड़ी बहस का मुद्दा है कि इसमें बर्फ डालें या नहीं. पीने के मामले में ‘ओल्ड स्कूल’ की एक जमात तो ऐसा करने को ‘ईशनिंदा’ जितना गंभीर अपराध मानती है।

इनका कहना है कि बरसों तक नायाब लकड़ी के पीपों में संजोकर रखने के बाद हमारे गिलास तक पहुंची एक महंगी सिंगल मॉल्ट व्हिस्की में बर्फ (Ice in expensive single malt whiskey) डालना उसके प्राकृतिक रूप और गंध की हत्या करना है. आला वाइन एक्सपर्ट्स भी यही कहते हैं कि व्हिस्की के स्वाभाविक फ्लेवर के एहसास के लिए इसे ‘नीट’ पीना ही बेस्ट है. हालांकि, आम लोग बर्फ या पानी बिना व्हिस्की को हलक से उतारने की कल्पना तक नहीं कर सकते. यानी सवाल जस का तस है, व्हिस्की में बर्फ डालें कि नहीं? क्या ऐसा करने या ना करने के पीछे कोई साइंस है, या फिर महज बरसों से चली आ रही प्रथा? अगर शराब की समझ रखने वालों की नजर में बर्फ डालना इतना गंभीर अपराध है तो ‘ऑन द रॉक्स’ जैसे शब्द युग्म क्यों पीने वालों की डिक्शनरी के हिस्सा बन गए? आइए समझने की कोशिश करते हैं.  

‘ऑन द रॉक्स’ का मतलब और इसका इतिहास क्या है?

‘ऑन द रॉक्स’ (on the rocks) यानी ढेर सारी बर्फ के साथ व्हिस्की परोसा जाना. आदर्श स्थिति यह है कि गिलास को आधा बर्फ से भर दिया जाए और उस पर ऊपर से व्हिस्की डाली जाए. कुछ लोग पहले शराब डालकर बाद में बर्फ डालते हैं, जो सही तरीका नहीं है. लेकिन बर्फ के लिए रॉक्स या पत्थर का जिक्र क्यों? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. इंटरनेट पर प्रचलित कहानियों पर भरोसा करें तो 9वीं से 11वीं शताब्दी तक अस्तित्व में रहे वाइकिंग योद्धा अपनी शराब की कड़वाहट को दूर करने और उसे ठंडा रखने के लिए उसमें नदी के पत्थरों को डालते थे.

वहीं, बाद में स्कॉटलैंड के किसानों की वजह से ‘स्कॉच ऑन द रॉक्स’ का चलन आया. फ्रिज और आईस क्यूब के आविष्कार से बहुत पहले स्कॉटिश लोग अपनी व्हिस्की को ठंडा करने के लिए नदियों या झीलों में पड़े ठंडे पत्थरों का इस्तेमाल करते थे. ज्यादा पानी मिलाना व्हिस्की के फ्लेवर को बर्बाद कर सकता था, इसलिए इसे ठंडा करने के लिए पत्थर बेहतर विकल्प थे.

दुनिया को स्कॉच जैसी नायाब शराब देने वाले इस देश में व्हिस्की सदियों से मुख्य तौर पर दो तरीके से ही परोसी जाती है. एक नीट और दूसरी एक बूंद पानी के साथ. स्कॉटिश मानते हैं कि बूंद भर पानी व्हिस्की के जटिल फ्लेवर प्रोफाइल को ओपन करने में मददगार होता है. आज भी वे जिस पानी से व्हिस्की बनाते हैं, उसे अलग से पैक करके बेचते भी हैं. माना जाता है कि यह पानी यहां की व्हिस्की के फ्लेवर का बेहतर एहसास कराने में मददगार है. 

वहीं, आधुनिक समय में व्हिस्की में बर्फ मिलाने का चलन अमेरिकी माना जाता है. कहते हैं कि इस शब्द युग्म का पहली बार इस्तेमाल 1940 के दशक में हुआ. उस वक्त आईस क्यूब ट्रे एक नया आविष्कार था. इनसे निकलने वाली बर्फ का आकार आकर्षित करता था और बहुत सारे लोगों को यह छोटे पत्थरों या रॉक्स जैसा ही लगता था. इससे पहले, अमेरिकी अपनी ड्रिंक में सेल्जर वॉटर (seltzer water) और बर्फ मिलाकर डायलूट करते थे और इसे ‘द हाईबॉल’ कहते थे. बाद में कुछ व्हिस्की कंपनियों ने बर्फ के साथ यानी ऑन द रॉक्स शराब पीने को प्रमोट किया और धीरे धीरे यह अमेरिकी संस्कृति का हिस्सा बनते हुए दुनिया भर में फैल गया.
 

बर्फ डालने का विरोध क्यों?

शराब में बर्फ का विरोध करने वाले वाइन एक्सपर्ट्स इसकी दो मुख्य वजह बताते हैं. पहला कि जब व्हिस्की में पड़ी आइस वक्त के साथ पिघलती है तो उसे डायलूट करती जाती है. इससे शराब में पानी की मात्रा बढ़ती है और व्हिस्की के फ्लेवर का एहसास घटता जाता है. दूसरा बर्फ पड़ते ही शराब का तापमान तेजी से नीचे जाता है. कम तापमान हमारी स्वाद ग्रंथियों को कुंद कर देता है, जिससे शराब के स्वाभाविक फ्लेवर का एहसास करना मुमकिन नहीं होता. 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खाने-पीने की चीज हो या ड्रिंक्स, ठंडी होने पर हमारी स्वाद ग्रंथियां उनके फ्लेवर को ढंग से समझ नहीं पातीं. बेहतर स्वाद या फ्लेवर तभी पता चलता है जब खाना या ड्रिंक थोड़ा सा गर्म हो. जब कोई शख्स एक मोटी रकम खर्च करके महंगी सिंगल मॉल्ट के एक पेग का आनंद उठा रहा हो तो वह बिलकुल नहीं चाहेगा कि उसे उसका सही फ्लेवर न पता चले.

तो बर्फ मिलाएं या नहीं?

इसका जवाब सीधे हां या ना में देना जरा पेंचीदा है. जिसके हाथ में शराब हो, उसे कोई यह नहीं बता सकता कि उसे वो कैसे पीनी है. बहुतों के लिए यह व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित हो सकता है. साइंस जो कुछ भी कहे, लेकिन अधिकतर लोग निजी अनुभव के आधार पर फैसला लेते हैं. भारत जैसे देश में, जहां बहुत बड़ी आबादी की नशे की जरूरत सस्ते विकल्पों पर आधारित हो, वहां पानी या बर्फ मिलाना, शराब की कड़वाहट को दूर करने का तरीका है, न कि उसे पीने के एक्सपीरियंस को बेहतर करना. कई बार बर्फ या ठंडा पानी शराब के कड़वे अनुभव को कम करने में मदद भी करती है.  हां, अगर बर्फ या पानी में से एक विकल्प चुनने कहा जाए तो कुछ वाइन एक्सपर्ट पानी को तरजीह देते हैं. उनका मानना है कि बर्फ के मुकाबले थोड़ा पानी मिलाना व्हिस्की के फ्लेवर को अपेक्षाकृत बेहतर बनाए रखता है.

Leave a Reply