Breast Cancer : ब्रेस्ट कैंसर हमारे देश समेत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा व्यापकता दर वाली बीमारी है। डायग्नोसिस में देरी से लेकर गलत डायग्नोसिस तक, ऐसे कई कारण हैं जो कैंसर पैदा करने वाले ट्यूमर को बढ़ाते हैं। लेकिन, इन सब समस्याओं के बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में छोटी-छोटी गांठों का पता लगाने में मेडिकल साइंस के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में जिनका नाम मीनाक्षी गुप्ता है। मीनाधी देख नहीं सकती हैं और दिल्ली एनसीआर में एक मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर हैं। वह किसी महिला के स्तन में छोटी से छोटी गांठ का भी पता लगा सकती हैं जो बेहद घातक साबित हो सकती हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार मीनाक्षी गुरुग्राम में स्थित मेदांता अस्पताल में काम करती हैं। वह एक प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जिसमें ऐसी महिलाओं के टैक्टाइल सेंस (स्पर्श संवेदना) का इस्तेमाल स्तनों में छोटी से छोटी असमान्यता की पहचान करने में किया जाता है जिन्हें देखने में दिक्कत होती है।
क्या होते हैं मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर्स?
मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर्स ऐसे अंधे या दृष्टिबाधित लोग होते हैं जिन्हें उनकी बढ़ी हुई स्पर्श की संवेदना यानी छूने के अहसास का इस्तेमाल करते हुए स्पेशलाइज्ड ब्रेस्ट एग्जाम करने के लिए ट्रेन किया जाता है। ऐसे लोग ब्रेस्ट टिश्यू में उन असमान्यताओं को डिटेक्ट करने में अहम भूमिका निभाते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती संकेत दे सकती हैं।
ये लोग डॉक्टर्स के साथ मिलकर काम करते हैं और ब्रेस्ट एग्जामिनेशंस की एक्यूरेसी को बेहतर करते हैं। अपनी एडवांस्ड टैक्टिकल सेंसिटिविटी के जरिए वह बहुत छोटे बदलावों को भी डिटेक्ट कर सकते हैं। इससे बीमारी का समय से डायग्नोसिस करने और मरीज का बेहतर इलाज करने में बड़ी मदद मिलती है।
साल 2023 में आई एक स्टडी के अनुसार दृष्टिबाधित लोगों द्वारा टैक्टिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन की प्रोसेस ब्रेस्ट स्क्रीनिंग के लिए सही है। स्टडी के अनुसार इससे ब्रेस्ट में सामान्य या घातक किसी भी तरह की गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है। यह प्रक्रिया दृष्टिबाधित महिलाओं के लिए व्यवसाय का मौका भी बन सकती है।
कौन हैं मीनाक्षी गुप्ता? कैसे बदली जिंदगी?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मीनाक्षी गुप्ता दिल्ली की रहने वाली हैं। वह मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर के तौर पर साल 2018 से काम कर रही हैं। मीनाक्षी के अनुसार अपने स्कूली दिनों में 11वीं क्लास में वह साइंस स्ट्रीम लेना चाहती थीं, लेकिन दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ह्यूमैनिटीज के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।
साल 2017 में मीनाक्षी को हैंड्स प्रोजेक्ट के बारे में पता चला जो ब्रेस्ट कैंसर के अर्ली डिटेक्शन पर फोकस करता था। मीनाक्षी इससे जुड़ीं। ट्रेनिंग और इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उन्होंने मेडिकल टैक्टाइल एग्जामिनर के तौर पर अपने नए सफर की शुरुआत की। मीनाक्षी के अनुसार वह एक मरीज की जांच करने में करीब 25 से 30 मिनट का समय लेती हैं। अभी तक वह लगभग 1100 मरीजों की जांच कर चुकी हैं, जिनमें से 250 से 400 मामले ऐसे थे जिनमें आगे और ध्यान देने की जरूरत थी।