भारत एक धार्मिक देश है। यहाँ कई तरह की मान्यताएं और परम्पराएं हैं। भारत में कई पवित्र नदियाँ हैं, जिनके बारे में किसी को कुछ भी बतानें की जरुरत नहीं है। कुछ नदियों का धार्मिक आधार भी है, इस वजह से ये नदियाँ अत्यंत ही पूजनीय हैं।
पौराणिक कथाओं में ना केवल नदियों के धार्मिक महत्व की चर्चा की गयी है बल्कि इससे सम्बंधित कई रहस्यों को भी उजागर किया गया है जो किसी को भी हैरान कर देते हैं। अक्सर आपनें लोगों के मुँह से सुना होगा कि शास्त्रों के अनुसार यमुना नदी में स्नान करनें वालों को यमलोक नहीं जाना पड़ता है।
कालिंद पर्वत से निकलनें की वजह से कहा गया कालिन्दी: आखिरकार मृत्यु के देवता यमराज और यमुना नदी के बीच कौन सा सम्बन्ध है? यमुना नदी के काले रंग का रहस्य क्या है और ब्रिज में यमुना नदी को यमुना मैया क्यों कहा जाता है? आज हम आपको यमुना नदी से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बतानें जा रहे हैं, जो आपको हैरान कर देंगे। यह सभी लोग जानते हैं कि यमुना नदी का उद्गम यमुनोत्री से हुआ है। यह नदी कालिंद पर्वत से निकली हुई है, इसलिए इसे कालिन्दी भी कहा जाता है। यह नदी प्रयाग में आकर गंगा नदी के साथ मिल जाती है।
यमुना नदी को माना जाता है यमराज की बहन: सामान्यतौर पर यमुना नदी का रंग काला है लेकिन इसका रंग उस समय साफ़ पता चलता है जब यह गंगा में मिल जाती है। शास्त्रों के अनुसार यमुना भगवान श्रीकृष्ण की परम भक्त थी, श्रीकृष्ण की भक्ति में रंगनें की वजह से ही इनका भी रंग काला हो गया।
एक तरफ ब्रज संस्कृति के जनक के रूप में श्रीकृष्ण को माना जाता है वहीँ दूसरी तरफ यमुना को जननी अर्थात ब्रज वासियों की माता कहा जाता है। यही वजह है कि ब्रज में यमुना मैया के नाम से इन्हें जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यमुना नदी को यमराज की बहन भी माना जाता है।
दिवाली के दुसरे दिन मिलते हैं भाई-बहन, इसलिए मनाया जाता है भाई दूज: यमराज और यमुना दोनों को सूर्य की संतान कहा जाता है। कथाओं के अनुसार सूर्य की पत्नी छाया का रंग काला था, यही वजह है कि उनकी दोनों संतानें यमराज और यमुना का रंग भी काला है। कथाओं के अनुसार यमुना ने अपने भाई यानी यमराज से यह वरदान लिया था कि जो भी यमुना में स्नान करेगा उसे यमलोक नहीं जाना होगा। दिवाली के दुसरे दिन यम द्वितीया के दिन यमराज और यमुना भाई-बहन की तरह मिलते हैं। इसी वजह से इस दिन भाई दूज का भी पर्व मनाया जाता है। कोसी घाट के पास यमुना नदी को सबसे पवित्र माना जाता है।
यमुना के काला होनें के पीछे है भौगोलिक कारण: ऐसा कहा जाता है कि केशी नाम के दुष्ट राक्षस का वध करनें के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने यहीं स्नान किया था। यही वजह है कि जो भी व्यक्ति यहाँ दुबकी लगता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा को ज्ञान की देवी और यमुना को भक्ति का सागर माना जाता है। ब्रह्म पुराण में यमुना के धार्मिक महत्व की चर्चा करते हुए लिखा गया है, “जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्षणों से सच्चिदानंद स्वरूप कहा जाता है, उपनिषदों ने जिसका ब्रह्म रूप से गायन किया है, वही परमतत्व साक्षात् यमुना है।” यमुना नदी का रंग काला है, इसका एक भौगोलिक कारण भी है। जहाँ-जहाँ से यमुना नदी गुजरती है, उस जगह के प्रभाव में आनें से यमुना का रंग काला हो गया है।