हिज्बुल्लाह पर इजरायल ताबड़तोड़ हमले कर रहा है. दक्षिणी लेबनान में इजरायल के हमले में हसन नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी हाशिम सैफीद्दीन के मारे जाने के दावों के बीच भारत में लेबनान के राजदूत ने हिज्बुल्लाह को लेकर बड़ा बयान दिया है.
लेबनान के राजदूत रबी नार्श ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा है कि हिज्बुल्लाह एक वैध राजनीतिक दल है, जिसे लोगों का समर्थन प्राप्त है और इसका नामोनिशान नहीं मिटाया जा सकता.
नार्श ने कहा कि मैं आपको याद दिला दूं कि महात्मा गांधी ने कहा था कि आप क्रांतिकारी को मार सकते हो लेकिन क्रांति को खत्म नहीं कर सकते. ठीक इसी तरह आप हिज्बुल्लाह के नेताओं को मार सकते हो लेकिन हिज्बुल्लाह को खत्म नहीं कर सकते क्योंकि यह लोगों से जुड़ी हुई पार्टी है. यह कोई प्रतीकात्मक संगठन नहीं है, जो पैराशूट से टपककर लेबनान पहुंच गया.
उन्होंने कहा कि हिज्बुल्लाह इजरायल की तानाशाही के खिलाफ खड़ा हुआ आंदोलन है, जिसे उसके नेताओं को मारकर कुचला नहीं जा सकता.
बता दें कि इससे पहले इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि उनकी सेनाओं ने हिज्बुल्लाह के कई नेताओं को खत्म कर उसके ढांचे को तोड़ दिया है और वह आगे भी ऐसा ही करेंगे.
क्या है हिज्बुल्लाह का इतिहास?
हिज्बुल्लाह की नींव ईरान ने इजरायल को पछाड़ने के लिए 80 के दशक में रखी थी. यह शिया संगठन है, जो लेबनान में बेहद ताकतवर है. इसे फिलहाल दुनिया की सबसे ताकतवर मिलिशिया की तरह भी देखा जा रहा है, जिसका काम इजरायल की नाक में दम किए रखना है. इसकी मुख्य फंडिंग ईरान करता है तो कह सकते हैं कि इसका काम मिडिल ईस्ट में इस देश को सबसे शक्तिशाली बनाए रखना भी रहा.
जमीनी और राजनैतिक दोनों जगह पकड़
हिज्बुल्लाह सिर्फ मिलिशिया नहीं, बल्कि ये राजनैतिक पकड़ भी रखता है. धीरे-धीरे इसने लेबनानी सिस्टम पर अपनी मजबूती बढ़ाई. साल 2008 से, संगठन और इसके सपोर्टर अमल ने किसी भी सरकारी फैसले पर वीटो का पावर हासिल कर लिया. इसकी पॉलिटिकल ताकत का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि लेबनानी संसद के अध्यक्ष नबीह बेरी ने साफ कह दिया कि जब तक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को हिज्बुल्लाह से मंजूरी नहीं मिलेगा, तब तक राष्ट्रपति चुनाव ही नहीं होगा.