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दिवाली पर बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार! 7 साल के इंतजार के बाद होगा…

दिवाली पर बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार! 7 साल के इंतजार के बाद होगा…
दिवाली पर बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार! 7 साल के इंतजार के बाद होगा…
Modi government is preparing to give a big gift on Diwali! After waiting for 7 years…

नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के क्रीमी लेयर दायरे को बढ़ाने की मांग पर जल्द फैसला हो सकता है। केंद्र सरकार ने ओबीसी संगठनों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, उसके तहत क्रीमी लेयर की सीमा को 12 लाख रुपये तक किया जा सकता है। मौजूदा समय में ओबीसी क्रीमी लेयर की सीमा आठ लाख है, जो 2017 से नहीं बढ़ाई गई है। पहले हर तीन साल में इसकी समीक्षा होती थी। महाराष्ट्र सरकार ने दिया केंद्र को प्रस्ताव

इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने भी ओबीसी क्रीमी लेयर के दायरे को बढ़ाने का केंद्र को प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इस प्रस्ताव से पहले ही केंद्र सरकार इस मुद्दे पर काम कर रही थी। केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इस मुद्दे पर ओबीसी संगठनों से चर्चा भी की है।

ओबीसी संगठनों ने की 15 लाख तक बढ़ाने की मांग
ओबीसी संगठनों ने क्रीमी लेयर के दायरे को 15 लाख रुपये तक बढ़ाने की मांग की है। उनका कहना है कि जिस हिसाब से महंगाई और लोगों की आय बढ़ी है, उसको देखते हुए यह बढ़ोतरी 15 लाख से कम ठीक नहीं होगी। संसदीय समिति की बैठक में भी उठा मुद्दा

क्रीमी लेयर का यह मुद्दा पिछले महीने हुई संसदीय समिति की बैठक में भी उठा। समिति ने इसमें हो रही देरी पर मंत्रालय के अधिकारियों को आड़े हाथों लिया था। मौजूदा समय में ओबीसी के क्रीमी लेयर के निर्धारण में वेतन और कृषि आय को शामिल नहीं किया जाता है। इसमें केवल कारोबार से होने वाली आय को जोड़ा जाता है। क्रीमी लेयर के दायरे में आने वालों को ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है।

क्या है क्रीमी लेयर (Creamy Layer)?
क्रीमी लेयर में आने वाले ओबीसी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। वंचित लोगों को ही आरक्षण का लाभ मिले, इसलिए ही क्रीमी लेयर का प्रावधान किया गया है।

अभी आठ लाख रुपये से अधिक साला इनकम वाले परिवार को क्रीमी लेयर का हिस्सा माना जाता है। इसके अलावा, ग्रुप ए, बी सेवा में काम करने वाले अधिकारियों के बच्चे भी इसमें आते हैं। साथ ही डॉक्टर, इंजीनियर और वकीलों के बच्चे भी इसके हिस्से में आते हैं।

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