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80 मुसलमानों के घरो पर ताला डालकर घर से निकाला, बिजली पानी काटी, खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर, देखें.,

80 मुसलमानों के घरो पर ताला डालकर घर से निकाला, बिजली पानी काटी, खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर, देखें.,
80 मुसलमानों के घरो पर ताला डालकर घर से निकाला, बिजली पानी काटी, खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर, देखें.,

संभल, उत्तर प्रदेश (बहजोई): संभल जिले के बहजोई इलाके में गुरुवार को प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 मुस्लिम परिवारों को उनके घरों से बेदखल कर दिया और उनके मकानों पर ताले लगा दिए गए।

कांच फैक्टरी की जमीन पर बने इन मकानों को हाईकोर्ट के आदेश पर खाली कराकर सील किया गया। बिजली और पानी की आपूर्ति भी बंद कर दी गई, जिससे प्रभावित परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पिछले 50 सालों से इन मकानों में रह रहे थे, लेकिन उन्हें बेदखल किए जाने से पहले कोई आधिकारिक नोटिस नहीं मिला। अचानक इस कार्रवाई ने उन्हें बेघर कर दिया, जिससे उनके सामने भारी संकट खड़ा हो गया है।

गुरुवार को करीब सवा बजे ऑफिशियल लिक्विडेटर की टीम अवैध कब्जे वाले मकानों पर पहुंची। तहसीलदार धीरेंद्र कुमार और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में मकानों पर सील लगाई गई। करीब ढाई घंटे तक चली इस कार्रवाई में सभी मकानों को सील कर दिया गया। इससे पहले, बुधवार को प्रशासन ने 84 मकानों और प्लॉट्स पर सील लगाने की प्रक्रिया शुरू की थी।

इस कार्रवाई को लेकर पुलिस-प्रशासन की पूरी टीम मुस्तैद रही। यह कदम हाईकोर्ट के उस आदेश के तहत उठाया गया, जो 1984 में दाखिल एक याचिका के संदर्भ में आया था। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इन मकानों पर अवैध कब्जा किया गया है।

प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें अचानक इस तरह बेदखल किया जाना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने बताया कि वे कई दशकों से इन मकानों में रह रहे हैं और उनके पास इस जमीन के वैध दस्तावेज नहीं होने के बावजूद उन्हें किसी भी तरह का नोटिस नहीं दिया गया। अब बिजली और पानी की कटौती के बाद, वे जीवन यापन के लिए गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।

बेघर हुए लोगों ने सरकार और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों से निकाला गया है और अब वे खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर हैं।

यह मामला अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है, जहां एक ओर प्रशासन हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रभावित परिवार इस कार्रवाई से हताश और निराश हैं।

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