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LAC पर दोनों सेनाओं ने 40 पर्सेंट टेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर हटाए

LAC पर दोनों सेनाओं ने 40 पर्सेंट टेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर हटाए
LAC पर दोनों सेनाओं ने 40 पर्सेंट टेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर हटाए
Both armies removed 40 percent of tents and infrastructure on the LAC

नई दिल्ली : ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर देपसांग और डेमचॉक में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। सूत्रों के मुताबिक गुरुवार रात तक दोनों जगह टेंट और टेंपरेरी इंफ्रास्ट्रक्चर हटाने का काम 40 पर्सेंट तक पूरा हो गया है। शुक्रवार यानी आज भी करीब 20 पर्सेंट और आगे बढ़ने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों पॉइंट्स पर दोनों देशों के लोकल कमांडर हर सुबह हॉटलाइन पर बात कर उस दिन क्या क्या एक्शन होना है, इस पर बात कर रहे हैं। दिन में एक या दो बार मीटिंग पॉइंट पर मुलाकात भी हो रही है, जिसमें डिसइंगेजमेंट को लेकर क्या क्या हुआ है, वह साझा किया जा रहा है।

40 पर्सेंट काम पूरा
डेमचॉक में दोनों तरफ से करीब 10-12 टेंपरेरी स्ट्रक्चर बने थे, ये पत्थरों के बनाए गए थे। साथ ही दोनों तरफ से करीब 12- 12 टेंट लगे थे। सूत्रों के मुताबिक गुरूवार रात तक इनमें से करीब 40 पर्सेंट टेंट हटा लिए हैं और इतने ही टेंपरेरी स्ट्रक्चर भी तोड़ दिए गए हैं। देपसांग में चीनी सैनिकों की जो गाड़ियां थी उसमें से करीब 40 पर्सेंट पीछे कर ली गई हैं और भारतीय सैनिकों की जो आगे तैनाती थी उमसें से करीब 40 पर्सेंट को पीछे कर लिया गया है।

पूरा होने पर होगा जॉइंट वेरिफिकेशन
सूत्रों के मुताबिक 2-3 दिन में टेंट और टेंपरेरी स्ट्रक्चर हटाने का काम पूरा होने की उम्मीद है। इसके बाद जॉइंट वेरिफिकेशन होगा। सूत्रों के मुताबिक अभी जो टेंट और टेंपरेरी स्ट्रक्चर हटाए जा रहे हैं उसे लेकर एक दूसरे को बताया जा रहा है और ये काम अभी भरोसे पर ही है। अभी कोई वेरिफाई नहीं कर रहा है कि जमीन पर क्या क्या हुआ है। लेकिन एक बार जब दोनों तरफ से सारे टेंट और टेंपरेरी स्ट्रक्चर हटा लिए जाएंगे तब जॉइंट वेरिफिकेशन होगा। यानी दोनों देशों के लोकल मिलिट्री कमांडर साथ जाकर देखेंगे कि जो जो कहा गया है, वह सब हो गया या नहीं। फिजिकल वेरिफिकेशन के साथ ही एरियल वेरिफिकेशन भी होगा।

वेरिफिकेशन के बाद होगी पेट्रोलिंग
सूत्रों के बाद एक बार वेरिफकेशन हो जाएगा, फिर उसके बाद देपसांग और डेमचॉक में दोनों देशों के सैनिक पेट्रोलिंग शुरू करेंगे। पेट्रोलिंग की मॉडेलिटिजी के बारे में पूछने पर सूत्रों ने बताया कि अभी कंडीशन को लेकर बातचीत चल रही है। गतिरोध से पहले जब पेट्रोलिंग होती थी तब महीने में दो बार पेट्रोलिंग होती थी और पेट्रोलिंग टीम यानी गश्ती टीम में 15 से ज्यादा सैनिक नहीं होते थे। अब भी शायद यही होगा। सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलिंग टीम कब जा रही है इसे लेकर एक दूसरे को पहले बता दिया जाएगा ताकि फेसऑफ ना हो। सूत्रों के मुताबिक ऐसा ही ईस्टर्न सेक्टर में भी कई जगह हो रहा है। डोकलाम में भी ऐसा ही हो रहा है। वहां भी दोनों देशों के सैनिक पेट्रोलिंग पर जाने से पहले एक दूसरे को इसकी जानकारी देते हैं। ऐसा ही गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया में (बफर जोन को छोड़कर) जो पेट्रोलिंग हो रही है, वहां भी हो रहा है।

फिर होगा बफर जोन पर फोकस
सूत्रों के मुताबिक अभी गलवान सहित चार बफर जोन पर बातचीत नहीं हुई है। अभी डेमचॉक और देपसांग पर ही फोकस है। एक बार यहां पेट्रोलिंग शुरू हो जाएगी और भरोसा कायम हो जाएगा, उसके बाद बफर जोन पर पेट्रोलिंग शुरू करने को लेकर कोर कमांडर स्तर की बातचीत होगी। अभी इस स्तर पर बातचीत की कोई डेट तय नहीं की गई है।

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