कलियुग की शुरुआत राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद हुई थी। ऐसा माना जाता है कि कलियुग को शुरू हुए अभी 5000 वर्ष ही हुए हैं। फिर भी इतना कुछ घटित हो रहा है। मनुष्य अपना स्वभाव बदलता जा रहा है।
सोचिए जब कलियुग अपने चरम पर होगा तो मनुष्य का व्यवहार कितना भयानक होगा। लेकिन पुराणों में बताया गया है कि, किन लक्षणों को देखकर जाना जा सकेगा अब कलियुग का अंत होने वाला है।
मनुष्यों के लक्षण
पहला
भविष्य पुराण में बताया गया है जब कलियुग का अंत निकट आ जाएगा तो मनुष्यों की औसत आयु घट जाएगी। 20 वर्ष की उम्र में ही लोग मृत्यु को प्राप्त कर हो जाएंगे अर्थात मनुष्यों की औसत आयु 20 वर्ष ही होगी। 5 साल के उम्र में ही स्त्रियां बच्चों को जन्म देने लगेंगी।
दूसरा
कलियुग का जब अंत होने वाला होगा तब मनुष्य ऐसे यज्ञ का अनुष्ठान करेंगे जिसका शास्त्रों में कहीं जिक्र नहीं होगा। यज्ञ का उद्देश्य मानव कल्याण की बजाय मानव का विनाश होगा। ऐसे यज्ञों के प्रभाव से ग्रहों, तारों और नक्षत्रों की स्थिति बदल जाएगी। फिर लोग दूसरे की धन-संपति हड़पने लगेंगे।
तीसरा
कलियुग जब चरम पर होगा तो पुत्र, पिता को काम करने भेजेगा वहीं बहु सास से घर का काम करवाएगी। पति के रहते हुए पत्नी और पत्नी के रहते हुए पति दूसरे को घर में लाएगा।
चौथा
कलियुग के अंत में मनुष्य पुराणों, वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करना पूर्णतया छोड़ देगा। वे खुद को ही सबसे बड़ा ज्ञानी मानने लगेंगे। मनुष्य दंभी और अज्ञानी हो जाएगा। इतना ही नहीं कलियुग के अंत में लोग भगवान की पूजा भी करना छोड़ देंगे। सभी मनुष्यों का भगवान से विश्वास उठ जाएगा। क्रोध और लोभ ही मनुष्य का मुख्य गुण बन जाएगा।
पांचवा
अधर्म के कारण कलियुग के अंत में सारी नदियां सूख जाएंगी। नदियों के सूखने के बाद जब अन्न उगना बंद हो जाएगा तो सभी मांसाहारी हो जाएंगे। गाय भी दूध देना बंद कर देगी। गाय धरती से लुप्त हो जाएंगी। उसके बाद मनुष्य बकरियों और भेड़ों का दूध पीने लगेगा। फिर उसी बकरी और भेड़ को मारकर उसका मांस भी खाएगा।
छठा
कलियुग केअंत में मनुष्य मलेच्छ हो जाएगा। पिता पुत्र की और पुत्र पिता की हत्या करने लगेगा। स्त्रियां पतिधर्म का पालन करना छोड़ देगी। विवाह कोई पवित्र बंधन नहीं रह जाएगा। लोग किसी भी कुल-गोत्र में विवाह करने लगेंगे।