इतिहास में बहुत से ऐसे शाशक रहे हैं जिनके बारे में हमने बहुत से दिलचस्प किस्से और कहानियां सुनी है, किसी के युद्ध में वीरता की तो किसी की कायरता की। कई शाशक तो ऐसे हुए हैं जिनकी कहानी सुनकर हैरानी होती है। ऐसा ही एक शाशक था महमूद बेगड़ा, जो अपने खाने पीने के शौक और रहन सहन को लेकर चर्चित है। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
महमूद शाह प्रथम को ही महमूद बेगड़ा के नाम से जाना जाता है। उनका पूरा नाम अबुल फत नासिर उद दीन महमूद शाह प्रथम था। ये गुजरात के छठे शासक थे, जो बहुत ही कम उम्र में गद्दी पर बैठे थे। इन्होंने 1458 से 1511 तक शाशन किया था। इन्हें बेगड़ा की उपाधि गिरनार और चंपानेर को जीतने के कारण मिली थी। इन्होंने चंपानेर को अपनी राजधानी बनाया था।
कहा जाता है कि इन्हें बचपन से ही ज़हर दिया जाता था, जिसके कारण अगर इनके शरीर पर कोई मक्खी बैठ जाती थी तो तुरंत मर जाती थी। कहा जाता है कि इन्हें मारने के लिए किसी ने इन्हें ज़हर पिलाया था हालांकि इससे इनकी मौत तो नही हुई लेकिन इसके बाद से इन्होंने अपने खाने में ज़हर लेना शुरू कर दिया, ताकि कोई भी ज़हर इन पर असर न करें।
इतिहासकारों ने बताया है कि रोजाना ज़हर का सेवन करने के कारण वे खुद बहुत ज़हरीले हो गए थे। महमूद बेगड़ा खाने के बहुत शौकीन थे। कहते हैं कि वे लगभग 35 से 40 किलो तक भोजन रोजाना खा लेते थे। एक बार में सौ केले, शहद और मक्खन की कई कटोरिया खा जाते थे।
इसके बावजूद भी इनके बिस्तर के दोनो तरफ खाने की कई वस्तुए रखी जाती थी ताकि उन्हें जब भी भूख लगे तो वे तुरंत खा सके। इसके अलावा सुल्तान अपनी मूछों के कारण भी बहुत चर्चा में थे। ये अपनी मूछों को साफी की तरह सिर पर बांधते थे। ये अपने दरबार में उन लोगों को ज्यादा महत्व देते थे जिनकी दाढ़ी और मूछें बड़ी होती थी।