हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान के सामने दीपक जलाया जाता है। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। हालांकि, के बार ऐसा होता है कि पूजा के दौरान अचानक से दिया बुझ जाता है। इसे लोग बड़ा ही अशुभ मानते हैं। लोगों का कहना है कि दिया का बुझ जाना अपशकुन होता है।
बहुत से लोग तो ऐसे भी है जो काफी डर जाते हैं कि अब क्या होगा, जरूर कुछ बुरा होने वाला है। लेकिन हम आपको बता दें कि इसमे डरने वाली कोई बात नहीं है। दिया कि बुझने के पीछे कोई भी कारण हो सकता है जैसे कि हवा चल गई हो, या फिर दिए में घी या तेल खत्म हो गया हो या फिर बत्ती सही से न लगी हो, कुछ भी हो सकता है।
इसलिए इसमे ज्यादा घबराने वाली कोई बात नहीं है। लेकिन हां, अगर आपने कोई प्रार्थना करते हुए दीपक को जलाया था और बिना किसी कारण के दिया बुझ गया है, तो इसका मतलब आपकी वह प्रार्थना स्वीकार नहीं हुई है। पर हताश होने की जरूरत नही है, आप भगवान के सामने हाथ जोड़कर, उनसे क्षमा याचना करें और दोबारा दीपक को जलाएं।
चलिए अब जानते हैं कि आखिर हम दीपक जलाते क्यों है? कोई न कोई वजह तो जरूर होगी इसके पीछे। तो जी हां, हम आपको बता दें कि दीपक जलाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दो कारण मौजूद है। आइये जानते हैं वे क्या है।
दीपक क्यों जलाया जाता है?
वैज्ञानिक कारण – पहले के ज़माने में तेल का दीपक नही जलाया जाता था, शुद्ध देशी गाय के घी का दीपक जलाते थे लोग। यह तो सबको पता ही होगा कि पहले के ज़माने में सब के घर में गाय हुआ करती थी। तो दीपक जलाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण यह है कि जब एक तोला घी जलता है तब एक टन ऑक्सिजन पैदा होता है।
धार्मिक कारण – दीपक ज्ञान और रोशनी का प्रतीक होता है। दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है और दरिद्रता दूर होती है। दीपक जलाने का अर्थ यह होता है कि हम अज्ञान का अंधकार मिटा कर अपने जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं। हिन्दू धर्म में किसी भी पूजा के समय दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है। इससे घर मे लक्ष्मी जी का निवास होता है और सुख समृद्धि आती हैं।