जिस पृथ्वी पर हम रहते हैं, वह आकार में गोल है। ऐसे में ये कल्पना करना कि पृथ्वी में hole करने का क्या परिणाम होगा, एक दिलचस्प सवाल है। क्या पृथ्वी में छेद करने पर आर पार की स्थिति पायी जा सकती है। इसके लिए कितने नीचे तक ड्रिलिंग करनी होगी, ये भी विचारणीय प्रश्न है।
अभी हाल ही में चीन ने पृथ्वी में छेद करने का अभियान शुरू किया है जिसके तहत वो लगभग 7 मील तक ड्रिलिंग कर चुका है। चीन के इस अभियान का मकसद 145 वर्ष प्राचीन चट्टानों तक पहुंचना है।
क्या कहता है विज्ञान?
निर्माण व स्वरूप के अनुसार पृथ्वी 5 लेयर से निर्मित है अतः पृथ्वी में आरपार छेद करने के लिए हमें 5 लेयर को पार करना होगा। द क्रस्ट सबसे पहली लेयर है जिसकी दूरी 40 माइल्स है, इसके बाद 217 माइल्स की दूरी तक अपर लेयर है फिर 1550 माइल्स तक लोअर लेयर मौजूद है, चौथी लेयर आउटकोर है जिसकी दूरी 1367 माइल्स तक है और सबसे अंतिम लेयर इनर कोर सॉलिड लेयर है जिसकी मोटाई 346 माइल्स है।
इस प्रकार संपूर्ण गणना और आकलन के अनुसार अनुमानतः पृथ्वी के आर-पार जाने के लिए 4000 माइल्स तक छेद करना होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक भूवैज्ञानिक 7 माइल्स तक ही छेद कर पाए हैं। इस वजह से हम कह सकते हैं फिलहाल पृथ्वी में आर-पार छेद करना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन जैसा है।
भले ही अभी के दौर में यह काम नामुमकिन लग रहा है, लेकिन भविष्य में कुछ भी हो सकता है। क्योंकि साइंस जिस तरह आगे बढ़ रहा है इस वजह से कुछ भी नामुमकिन नहीं है। इस प्रकार उपरोक्त विश्लेषण और तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि पृथ्वी के आर पार छेद करना इतना सहज नहीं है। यदि 7 माइल्स तक भी छेद कर लिया गया है तो भी पहली लेयर को पार करने में अभी 33 माइल्स की दूरी शेष है।