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शहर फेल हो जाएं भारत के इस गांव के आगे, दुनिया के सबसे अमीर गांव के बैंक में है 5 हजार करोड़ रु

शहर फेल हो जाएं भारत के इस गांव के आगे, दुनिया के सबसे अमीर गांव के बैंक में है 5 हजार करोड़ रु
शहर फेल हो जाएं भारत के इस गांव के आगे, दुनिया के सबसे अमीर गांव के बैंक में है 5 हजार करोड़ रु

हैरानी हो रही है न इस खबर को जानकर, कि क्या कोई ऐसा भी गांव हैं, वो भी भारत में, जिसके बैंकों में 5 हजार करोड़ रु से ज्यादा जमा है। तो हैरान मत होइये, ये बिल्कुल सही खबर है। भारत के गुजरात में ऐसा एक अमीर गांव है। आप को जानकर ये भी हैरानी होगी कि ये भारत का ही नहीं दुनिया का सबसे अमीर गांव है।

गुजरात का मधापार गांव

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आपने भारत के गांवों की बदहाली की खबरें अब तक बहुत पढ़ी होंगी, लेकिन आज हम भारत के एक ऐसे गांव में ले चलेंगे जो आपके दिलो-दिमाग में बैठी गांव की तस्वीर को एक बारगी बिल्कुल बदल देगा। गुजरात के कच्छ में स्थित इस गांव का नाम है-मधापार।1990 के दशक में ही यह गांव देश के सबसे पहले हाइटेक गांव के रूप में विकसित हो चुका था।

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कच्छ इलाके के इस गांव की ख़ासियत अच्छे होटल, समझदार लोग और आधुनिक तकनीक का अधिकाधिक इस्तेमाल करना है। अपनी इस खासियत की वजह से यह गांव बड़ी-बड़ी बिजनेस मीटिंग कराने के नजरिए से बेस्ट डेस्टिनेशन या जगह बन गया है।

मधापार दुनिया का सबसे अमीर गांव

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अगर आप गांव के सभी लोगों की संपत्ति का ब्यौरा निकालें तो माधापार भारत ही नहीं दुनिया के सबसे अमीर गांव की लिस्ट में शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 7,600 घरों वाले मधापार गांव में 17 बैंक हैं। बैंकों में डिपॉजिट या जमा के मामले में यह गांव दुनिया के सबसे अमीर गांवों में से एक है।

इस गांव के बैंकों में 92,000 लोगों की 5000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जमा है। गांव के बैंक में औसतन प्रति व्यक्ति करीब 15 लाख रुपये जमा हैं। गौरतलब है कि माधापार कच्छ के मिस्त्रियों द्वारा बसाए गए 18 गांवों में से एक है।

गांव में आधुनिक सुविधाएं मौजूद

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17 बैंकों के अलावा, मधापार गांव में स्कूल, कॉलेज, झील, हरियाली, बांध, स्वास्थ्य केंद्र और मंदिर भी हैं। गांव में एक अत्याधुनिक गौशाला भी है। अब सवाल उठता है कि आखिर मधापार गांव भारत के पारंपरिक गांवों से इतना अलग क्यों है? इसका जवाब हम आपको नीचे बताते हैं।

मधापार के ज्यादातर लोग NRI हैं

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मधापार गांव के ज्यादातर लोग NRI हैं। उन्होंने देश के बाहर रहकर काम किया और पैसे कमाकर गांव की तरक्की में योगदान किया, और यहां के बैंकों में पैसा जमा किया। इन लोगों ने मिलकर गांव में स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र, मंदिर, बांध, ग्रीनरी और झीलों का निर्माण कराया।

आपको जानकर हैरानी होगी कि साल 1968 में ही इन NRI लोगों ने लंदन में ‘मधापार विलेज एसोसिएशन’ नाम के एक संगठन की स्थापना कर दी थी, जिसका उद्देश्य गांव की छवि को बेहतर बनाना और लोगों को आपस में जोड़ना था।

पटेलों का गांव है मधापार

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मधापार गांव में अधिकांश आबादी पटेल समुदाय की है। इनमें से 65 प्रतिशत से ज्यादा लोग NRI हैं। ये विदेशों में काम करते हैं और अपने परिवारों को पैसे भेजते हैं। इनमें से कई NRI पैसा कमाने के बाद भारत वापस आ गए और गांव में अपना खुद का वेंचर शुरू कर दिया है। कृषि अब भी मधापार का मुख्य व्यवसाय है और कृषि उपज को मुंबई समेत देश के अन्य हिस्से में भेजे कर ये अच्छा पैसा कमाते हैं।

गांव अमीर होंगे तो भारत अमीर होगा

भारत गांवों का देश माना जाता है। करीब 6.50 लाख गांव में ही भारत की अधिकांश आबादी बसती है। अगर देश का एक-एक गांव समृद्ध हो जाए तो पूरा भारत समृद्ध हो जाएगा। मधापार गांव के NRI लोगों ने इस गांव की तस्वीर बदल दी। मधापार की तरह हर गांव में इतने NRI तो नहीं हैं, लेकिन जज़्बा हो तो किसी को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है।अपनी मेहनत और बुद्धि से हर गांव अपने लिए प्रगति का नया रास्ता तैयार कर सकता और एक अमीर गांव के रूप में अपना नाम दर्ज कर सकता है।

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