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जिस चीज को आप यूंही देते है थूक, किसी अमृत से नहीं है कम.कैंसर से लेकर ना जाने कितनी बड़ी बीमारियों को करती है ठीक?

जिस चीज को आप यूंही देते है थूक, किसी अमृत से नहीं है कम.कैंसर से लेकर ना जाने कितनी बड़ी बीमारियों को करती है ठीक?
जिस चीज को आप यूंही देते है थूक, किसी अमृत से नहीं है कम.कैंसर से लेकर ना जाने कितनी बड़ी बीमारियों को करती है ठीक?

Benefits Of Mouth Siliva For Humans: सुबह उठकर क्या किया जाए? आयुर्वेद के अनुसार, दिन की शुरुआत करते हुए सबसे पहले पानी पीना अत्यंत लाभकारी होता है। इस क्रिया को “उषापान” कहते हैं, जिसका अर्थ है कि सुबह चार बजे उठकर बिना दांत ब्रश किए सीधे पानी पीना।

सुबह उठकर पानी पीने के फायदे:

रात भर सोने के बाद, सुबह के समय हमारे मुंह में प्राकृतिक लार अधिक मात्रा में इकट्ठी होती है। इस लार को शरीर के अंदर लेना फायदेमंद होता है, इसलिए आयुर्वेद में सुबह उठते ही दांतों को ब्रश या कुल्ला करने से मना किया गया है। ऐसा करने से लार का pH 8.4 जैसा उच्च स्तर बना रहता है, जो कि हमारे शरीर के लिए कई प्रकार से लाभकारी है।

  • पाचन में सुधार: लार अल्कलाइन होती है और पेट के एसिड को नियंत्रित करने में सहायक होती है। इससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है और पेट की कई समस्याओं का समाधान भी होता है।
  • त्वचा के लिए फायदेमंद: अगर आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हैं, तो सुबह की लार को उस स्थान पर हल्के से लगाने से लाभ मिलता है। इसी तरह, पिंपल्स, दाग-धब्बे आदि पर भी लार लगाने से त्वचा साफ होती है।
  • आंखों की सेहत: जो लोग चश्मा हटाना चाहते हैं, उन्हें सुबह की लार को आंखों के चारों ओर काजल की तरह लगाना चाहिए। इससे दृष्टि में सुधार हो सकता है।
  • घावों को जल्दी भरने में सहायक: अगर कहीं चोट लग गई हो और घाव जल्दी ठीक नहीं हो रहा हो, तो उस स्थान पर लार लगाने से घाव जल्दी ठीक होने लगता है।

वैज्ञानिक अध्ययन और लार की महत्ता:

प्राकृतिक लार का पीएच स्तर काफी अल्कलाइन होता है, जो इसकी चिकित्सकीय उपयोगिता को दर्शाता है। राजीव जी के अनुसार, लार की यह विशेषता उसे घावों को ठीक करने, त्वचा की समस्याओं को हल करने, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक बनाती है।

जानवरों और इंसानों में समानता:

जानवरों को जब भी चोट लगती है, तो वे उस हिस्से को चाटते हैं और अपने आप स्वस्थ हो जाते हैं। उसी तरह मनुष्य की लार में भी अल्कलाइन गुण होते हैं, जो चोट या घाव को ठीक करने में सहायक होते हैं।

लार और जीवन बीमा कंपनियों के बीच का वास्ता:

आजकल कई जीवन बीमा कंपनियां बीमा से पहले व्यक्ति के मुंह की लार का परीक्षण करती हैं। यदि उसमें अल्कलाइन की मात्रा कम होती है, तो बीमा करने में वे संकोच करती हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि अल्कलाइन की कमी से व्यक्ति का जीवन खतरे में हो सकता है।

टूथपेस्ट का उपयोग कम करें:

आयुर्वेद के अनुसार, टूथपेस्ट में मौजूद सोडियम लॉरिल सल्फेट लार की उत्पत्ति को कम कर देता है। टूथपेस्ट का यह रसायन लार ग्रंथियों को सुखा देता है, जिससे लार बनने की प्रक्रिया में रुकावट आती है। इसलिए प्राकृतिक विकल्पों जैसे कि दातुन, नीम, बबूल आदि का प्रयोग बेहतर होता है।

सुबह की लार का हमारे स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए, अगली बार जब सुबह उठें, तो दिन की शुरुआत पानी पीने से करें और इस प्राकृतिक औषधि का लाभ उठाएं।

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the authorhimachalikhabar

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