Ajab GazabChambaCrimeHimachalIndiaKangraShimlaTrendingViral

संभोग शादी का स्तंभ है, लेकिन समाज इस बात को मनाने से कतराता है समाज का कहना है कि शादी सिर्फ संभोग के लिए नहीं होती है, और भी कारण हैं..

संभोग शादी का स्तंभ है, लेकिन समाज इस बात को मनाने से कतराता है समाज का कहना है कि शादी सिर्फ संभोग के लिए नहीं होती है, और भी कारण हैं..
संभोग शादी का स्तंभ है, लेकिन समाज इस बात को मनाने से कतराता है समाज का कहना है कि शादी सिर्फ संभोग के लिए नहीं होती है, और भी कारण हैं..

PS: SabKuch Gyan. संभोग शादी का स्तंभ है, लेकिन समाज इस बात को मनाने से कतराता है समाज का कहना है कि शादी सिर्फ संभोग के लिए नहीं होती है, और भी कारण हैं,लेकिन यदि किसी से पूछो कि तुम्हे सब मिलेगा बस सेक्स करने को नहीं मिलेगा तो इसे कोई शादी करने को तैयार नहीं होगा

ठीक इसी तरह लडको के बारे में भी धारणा होती है, कि हर लड़के को सुंदर और कामुक स्त्री चाहिए होती है, यदि लड़की सुंदर है तो उसकी शादी में कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन अगर वो सुंदर नहीं है तो लाखों समस्या होगी

क्यों कि सुंदरता को सीधे कामवासना से जोड़ा जाता है

मैं भी कोई बहुत सुंदर नहीं हूं, इस लिए शादी होना बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए भी ऊपर से एक एक्सीडेंट के बाद से मेरे पापा की जॉब चली गई थी, और वो थोड़ा मानसिक तौर पर भी अंस्टेबल हो गए थे

उस दिन के बाद से हमारा परिवार बिखरने लगा था l, क्यों की जितने जमा पूंजी थी वो पापा के इलाज में लग गई थी l हमारे पास खाने को कुछ नहीं था ऐसे में मेरी बुआ ने हम लोगों को सहारा दिया

लेकिन इस सहारे की एक कीमत देनी पड़ी, और ये कीमत थी अपने बुआ के घर में ही मुझे और मेरी मां को नौकर बन के काम करना पड़ता था, बदले घर की साफ सफाई, और खाना मिलता और मां को 5000 रूपये

बचपन में हुए इस एक्सीडेंट की वजह से मेरा बचपन तक खत्म हो गया था मेरी जवानी भी ऐसे ही ढल रही थीबुआ की एक ही बेटी थी जो दिखने में किसी पारी से कम नहीं थी, और बुआ उनके लिए काफी अच्छे लड़के देखती थी

इसी तरह विजय घर पे आए और बुआ की बेटी को देखने का कार्यक्रम शुरू हुआ, घर में उनके परिवार वाले आए तो मुझे भेजा गया चाय नाश्ता के लिए

घर का कोई भी काम होता तो बुआ मुझे आवाज लगाती और मैं करती, बुआ ने बताया कि घर के ज्यादातर काम मैं करती हूं, और फिर उन्होंने बोला कि बचपन से हमारे साथ है, मुझे अच्छा लगा सुन के लेकिन फिर उन्होंने बोला कि मेरे घर के मेड की बेटी है, ये बात मुझे पसंद नहीं आई

दोनो परिवार खुश थे, बुआ की बेटी उन्हें पसंद आई थी और दोनो लोगों ने नंबर शेयर किया, और बात होना शुरू हुई, हफ्तों एक दूसरे को जानने के दौरान बुआ की बेटी ने विजय को बताया कि हम लोग कौन हैंविजय ने बोला कि वो तुम्हारी बुआ हैं उनकी परिस्थिति खराब है तुम्हारी मां ने बोला कि वो नौकर की बेटी है

इन पर बुआ की बेटी के पास कोई जवाब नहीं था, अगले दिन विजय बोलते हैं, देखो बुरा मत मानो लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता हूं, क्यों की ये काफी बड़ी बात थी जो तुम्हारी मां ने अपने स्वार्थ के लिए छिपाया

मैने देखा है किचन का छोटा से छोटा और बड़े से बड़ा काम वो लड़की अकेले कर रही थी यदि पॉसिबल हो तो मैं उससे शादी करना चाहूंगा क्यों कि मुझे ऐसी पत्नी चाहिए जो मेरा साथ दे

ये सुन कर बुआ की बेटी ने फोन कर दिया और नीचे आके रोते हुए सारी बात अपनी मां की बताई

बुआ को गुस्सा आया और उसी दिन उन्होंने हमें अपने घर से निकाल दिया,पहले 2 दिन तो मै मां और बीमार पापा गुरुद्वारे में थे

उसके बाद हमने एक सस्ता सा कमरा किराए पर लियाऔर मैं नौकरी ढूंढने के लिए इधर उधर भटकने लगी

तभी एक दिन विजय मुझे मेट्रो में मिले और बात करने की कोशिश की , पर मैं अन्दर से नाराज़ थी क्यों की आज हमारे पास घर नहीं था तो इसाक कराड विजय थे

मैने बात नहीं की और लेडीज कंपार्टमेंमनेट में चढ़ गई

3 दिन बाद फिर वो मुझे दिखे और बोला जॉब इंटरव्यूज के लिया जाते हैं ? मैं हेल्प कर सकता हूं

ये बात सुन के मै रुक गई क्यों की परिस्थित के अनुसार मुझे नौकरी की अत्यधिक आवश्यता थी, मैने तुरंत हां बोल

विजय ने अपने एक दोस्त से बात की और एक कम्पनी में मुझे नौकरी पर रख लिया,फिर उन्होंने मुझे शादी करने का प्रस्ताव रखा

मैने स्पष्ट बोला मेरी स्थिति नहीं कि मैं शादी करूं और शादी का खर्च उठा पाऊं आप अमीर लोग हैं बड़ी शादियां होती है जिसके लिए मैं इस जन्म में सक्षम नहीं होंगी

उन्होंने बोला हां शादी तो ग्रैंड होती है हमारे यहां एक बार मुझे तुम्हारी मां से बात करनी है अपना एड्रेस बताओ

मैने बताया तो 1 सप्ताह बाद विजय अपनी मां के साथ मेरे घर आए और मेरी मां से शादी का प्रस्ताव रखा मां ने भी वही उत्तर दिया जो मैने दिया था, विजय की मां ने बोला, आप हां बोलिए, शादी का खर्च मेरे तरफ से होगाहमें एक अच्छी लड़की की तलाश है जो अपनी गरिमा समझे

मां ने हां कहा उसके बाद मेरी शादी हो गई, शादी का पूरा खर्च विजय ने उठाया था,शादी के बाद मैने विजय से पूछा मेरी बहन मुझे लाख गुना ज्यादा सुन्दर है अपने मुझसे शादी क्यों की

उन्होंने बोला

सुन्दरता सिर्फ कुछ साल के लिए है, उसके बाद क्या ??मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जिसमें सादगी हो, जो तुम्हे थी

मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जो परिवार की गर्मियां और अपनी मर्यादा समझे, ये मुझे तब दिखा जब तुम्हारी बुआ ने तुम्हे नौकर की बेटी कहा था और तुम चुप चाप वहां खड़ी थी

विजय की बाद सुन कर मुझे इस बात पर यकीन हुआ कि हर लड़के कामुक और सुन्दर लड़की की तलाश में नहीं होते हैं कुछ आज भी हैं जिन्हें मर्यादित लड़की चाहिए

जिंदगी ने शुरुवाती दिनों में ठोकर देके बचपन छीन लिया था,

लेकिन जवानी में जिंदगी मेहरबान थी और बदसूरत होते हुए भी अच्छा पति और परिवार मुझे मिला

himachalikhabar
the authorhimachalikhabar

Leave a Reply