Ajab GazabChambaHimachalIndiaKangraShimlaTrendingViral

बड़ा बेटा डॉक्टर बन गया और छोटा इंजीनियर, मगर चंदू न पढ़ सका, न ही कोई खास काम कर सका। उसे घर में हमेशा अवारा और नालायक समझा जाता था।

बड़ा बेटा डॉक्टर बन गया और छोटा इंजीनियर, मगर चंदू न पढ़ सका, न ही कोई खास काम कर सका। उसे घर में हमेशा अवारा और नालायक समझा जाता था।

एक परिवार में तीन भाई और एक बहन थे। बड़ा और छोटा भाई पढ़ाई में बहुत तेज थे। उनके माता-पिता अपने सभी बच्चों से बहुत प्यार करते थे, मगर मंझले बेटे चंदू से थोड़े परेशान रहते थे। बड़ा बेटा डॉक्टर बन गया और छोटा इंजीनियर, मगर चंदू न पढ़ सका, न ही कोई खास काम कर सका। उसे घर में हमेशा अवारा और नालायक समझा जाता था।

बड़ा बेटा डॉक्टर बन गया और छोटा इंजीनियर, मगर चंदू न पढ़ सका, न ही कोई खास काम कर सका। उसे घर में हमेशा अवारा और नालायक समझा जाता था।

समय बीतने के साथ सभी भाइयों और बहन की शादियाँ हो गईं। बड़े और छोटे भाई ने लव मैरिज की, और बहन की भी अच्छे घर में शादी हुई। चंदू की शादी माँ ने गाँव की एक सीधी-सादी लड़की से कर दी, क्योंकि पिता की मृत्यु के बाद माँ को डर था कि कहीं जायदाद की बात न उठे।

शादी के बाद चंदू में बदलाव आया। उसने मेहनत से काम करना शुरू किया। दोस्तों ने उसे ताना मारा कि वह बीवी का गुलाम बन गया है। इस पर चंदू ने जवाब दिया, **”पहले मैं अकेला था, अपना पेट पाल लेता था। अब मेरी पत्नी है, कल बच्चे होंगे। मैं उसका भरोसा कैसे तोड़ सकता हूँ? माँ-बाप ने मुझे भले ही नालायक समझा हो, लेकिन मेरी पत्नी मुझसे उम्मीद रखती है, और मैं उसकी इज्जत बनकर दिखाऊंगा।”**

घर में बड़े और छोटे भाइयों ने जायदाद के बंटवारे की बात छेड़ी। माँ ने लाख मना किया, मगर तय हुआ कि बंटवारा होगा। बहन भी मायके आई। चंदू अपने काम पर जाने लगा, लेकिन भाइयों ने उसे रोका। चंदू ने कहा, **”जो मेरा हिस्सा देना है, लिख देना। मैं शाम को आकर अंगूठा लगा दूंगा।”**

बंटवारे में बड़े और छोटे भाई ने पाँच-पाँच बीघा जमीन रख ली और चंदू को पुश्तैनी घर देने का फैसला किया। तभी चंदू ने पूछा, **”और हमारी छुटकी (बहन) का हिस्सा?”**

भाइयों ने हंसते हुए कहा, **”बहनों का हिस्सा मायका होता है।”**

चंदू ने गंभीरता से कहा, **”अगर ऐसा है तो मेरे हिस्से की वसीयत बहन के नाम कर दो।”**

भाई चकित हो गए। उन्होंने पूछा, **”और तेरा हिस्सा?”**

चंदू ने माँ की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा, **”मेरे हिस्से में माँ है।”**

फिर अपनी पत्नी की ओर देखते हुए बोला, **”क्या मैंने गलत कहा, चंदूनी जी?”**

चंदूनी ने सास के गले लगकर कहा, **”मुझे इससे बड़ी वसीयत और क्या मिलेगी कि मुझे माँ जैसी सास और पति जैसा ख्याल रखने वाला जीवनसाथी मिला।”**

चंदू के इन शब्दों ने बंटवारे की बहस को सन्नाटे में बदल दिया। बहन दौड़कर चंदू से गले लग गई और रोते हुए कहा, **”माफ कर दो, भैया। मैं आपको समझ नहीं सकी।”**

चंदू ने कहा, **”इस घर में तेरा भी उतना ही अधिकार है जितना हमारा। माँ का चुनाव इसलिए किया ताकि तुम सबकी यादें मेरे साथ रहें।”**

दोनों भाई भी चंदू से गले मिलकर रोने लगे। सबने महसूस किया कि सच्चा प्यार और परिवार का महत्व जायदाद से कहीं बढ़कर है।

उस दिन के बाद से पूरा परिवार एकजुट हो गया और फिर से साथ रहने लगा। चंदू ने साबित कर दिया कि परिवार को जोड़ने के लिए पढ़ाई-लिखाई नहीं, बल्कि दिल में प्यार और रिश्तों की अहमियत समझने की जरूरत होती है।

himachalikhabar
the authorhimachalikhabar

Leave a Reply