इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिन्दू युवक को मुस्लिम लड़की से शादी करने के आधार पर जमानत दे दी। लड़के पर इसी लड़की के अपहरण और रेप का मामला दर्ज है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिन्दू युवक को मुस्लिम लड़की से शादी करने के आधार पर जमानत दे दी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि हिन्दू युवक जेल से छूट कर मुस्लिम लड़की से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत कोर्ट में शादी करेगा। हिन्दू युवक पर उसकी मुस्लिम प्रेमिका के अब्बू ने रेप और अपहरण के मामले में FIR दर्ज करवा दी थी। इस चक्कर में हिन्दू युवक को जेल जाना पड़ा था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने 14 नवम्बर, 2024 को दिए गए आदेश में कहा, “ऐसा लगता है कि लड़की के जीवन की सुरक्षा के लिए युवक उससे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह कर सकता है, जिसके लिए उसे चार महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी जा सकती है।”
क्या था मामला?
यह मामला उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर से जुड़ा हुआ है। यहाँ के एक हिन्दू युवक ने एक मुस्लिम लड़की के साथ मंदिर में शादी की थी। इसके लिए मुस्लिम लड़की ने अपना घर छोड़ दिया था। हालाँकि, दोनों के धर्म अलग होने की वजह से मुस्लिम लड़की के घरवालों को यह पसंद नहीं आया।
लड़की के अब्बू ने अपनी बेटी के प्रेमी के खिलाफ इसके बाद अम्बेडकर नगर की टांडा कोतवाली में एक FIR दर्ज करवा दी। इस FIR में आरोप लगाया गया कि उनकी बेटी का हिन्दू युवक ने अपहरण किया है। इसके अलावा हिन्दू युवक पर रेप का आरोप लगाया गया। लड़की के अब्बू ने दावा किया कि उनकी बेटी नाबालिग थी, इसलिए हिन्दू युवक पर POCSO की धाराएँ भी लगी।
इसके बाद जुलाई, 2024 में युवक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। वहीं मुस्लिम लड़की ने अपने घर नहीं गई और वह लखनऊ के एक अनाथालय में रहने लगी। इसके बाद हिन्दू युवक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस संबंध में अंतरिम जमानत के लिए याचिका लगाई।
हिन्दू युवक ने याचिका में कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ रहना चाहता है लेकिन उसके घर वाले उसे नहीं रहने दे रहे। लड़की ने भी यही बात कही। इस मामले की सुनवाई के दौरान मुस्लिम लड़की ने कहा कि उसके हिन्दू पति के विरुद्ध लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार हैं।
मुस्लिम लड़की ने कोर्ट को बताया कि उसने हिन्दू युवक के साथ मंदिर में शादी की थी और अब आगे उसी के साथ रहना चाहती है। मुस्लिम लड़की ने बताया कि उसके हिन्दू युवक के साथ शादी करने के कारण दकियानूसी मुस्लिम परिजन उससे गुस्सा हैं और उन्होंने इस शादी को मंजूर नहीं किया है।
लड़की ने बताया कि उसकी उम्र 18 साल है लेकिन उसके पास इस बात को सिद्ध करने के लिए कोई कागज नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में मेडिकल जाँच करवाई जिसमें लड़की को लगभग 16-17 साल का बताया गया। हालाँकि, लड़की ने इस बात पर जोर दिया कि वह 18 साल की है।
कोर्ट ने क्या फैसला दिया?
लड़की की दलीलों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा, “दोनों पक्ष सुनने के बाद, लगता है कि भविष्य में लड़की के जीवन की रक्षा के लिए युवक उससे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह कर सकता है, जिसके लिए उसे चार माह की अवधि के लिए अंतरिम जमानत दी जा सकती है।”
हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपित को 4 महीने के लिए छोड़ दिया जाए और वह जेल से बाहर निकल कर पहले लड़की को अनाथालय से अपने पास लाए और फिर उससे विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करे। हाई कोर्ट ने युवक को ₹20,000 के दो मुचलके पर जमानत दी है।
कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर दोनों पति-पत्नी शादी के सबूत के साथ कोर्ट में आएँ। कोर्ट ने इसी के साथ हिन्दू युवक को हिदायत दी कि वह जमानत का गलत फायदा ना उठाए। इस सुनवाई में मुस्लिम लड़की के अब्बू ने कहा कि अब उन्होंने अपनी बेटी से सारे रिश्ते तोड़ लिए हैं।