कैसे पैदा होते हैं जुड़वा बच्चे, जानें किन लोगों में होते हैं ऐसा होने के सबसे ज्यादा चांस

कैसे पैदा होते हैं जुड़वा बच्चे, जानें किन लोगों में होते हैं ऐसा होने के सबसे ज्यादा चांस

अक्सर सवाल होता है कि आखिर जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते हैं. किन महिलाओं को ट्विंस के चांस ज्यादा हैं. जुड़वा बच्चों के पीछे का साइंस क्या है. दरअसल, एक से ज्यादा बच्चों को जन्म देने की घटना मेडिकल टर्म में मल्टिपल प्रेगनेंसी कही जाती है.

इसका मतलब किसी महिला के गर्भ में दो या ज्यादा बच्चे हैं. ये एक ही एग या अलग-अलग एग्स से हो सकते हैं. ऑक्सफोर्ड की नई रिसर्च में बताया गया है कि दुनिया में हर साल 1.6 मिलियन जुड़वा बच्चे पैदा हो रहे हैं. क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, हर 250 प्रेगनेंट महिलाओं में से एक को ट्विंस होने की संभावना रहती है. ऐसे में आइए जानते हैं जुड़वा बच्चों के पैदा होने का पूरा साइंस…

जुड़वा बच्चे कैसे पैदा होते हैं

जब एक ही एग से जुड़वा या ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं तो उन्हें आइडेंटिकल कहते हैं. ऐसा एक एग एक स्पर्म से फर्टिलाइज होने से होता है. इसके बाद फर्टिलाइज्ड एग दो या ज्यादा हिस्सों में बंट जाता है, जो रेयर होता है. इन बच्चों का चेहरा और नेचर तक मैच करता है. वहीं, अलग-अलग एग से पैदा होने वाले बच्चों को फ्रेटरनल कहते हैं. ऐसा दो या ज्यादा एग अलग-अलग स्पर्म से फर्टिलाइज होने की वजह से होता है. आसान भाषा में कहे तो जब दो अलग-अलग एग गर्भ में फर्टिलाइज हो जाएं या जब एक फर्टिलाइज्ड एग दो भ्रूण में बंट जाता है तो जु़ड़वा बच्चे पैदा होते हैं.

किन लोगों को जुड़वा बच्चे होने के चांस ज्यादा

1. अगर किसी की फैमिली में पहले से ही फ्रेटरनल ट्विन्स हैं तो उनमें जुड़वा होने के चांस ज्यादा होते हैं.

2. अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी में पब्लिश स्टडी रिपोर्ट के अनुसार, 30 या उससे BMI (बॉडी मास इंडेक्स) मतलब वजन वाली महिलाओं में जुड़वा बच्चे होने का चांस ज्यादा रहता है.

3. अगर कोई महिला फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से कंसीव करती है और उसकी उम्र 35 या उससे ज्यादा है तो ट्विंस के चांस ज्यादा रहते हैं.

4. जिन महिलाओं ने IVF की मदद ली है.

जुड़वा बच्चे होने के लक्षण

1. बहुत ज्यादा मॉर्निंग सिकनेस होना

2. सामान्य से ज्यादा वेट गेन

3. ब्लीडिंग और स्पॉटिंग प्रॉब्लम्स

4. बहुत ज्यादा भूख लगना.

5. भ्रूण का ज्यादा जगह घूमना

6. थकान से बार-बार यूरिन आना

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