भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, इस वजह से इंडियन रेलवे की चर्चा हमेशा होती रहती है। भारत में बहुत सारे रेलवे स्टेशन है जिसका कुछ न कुछ नाम है जिस वजह से लोग उसे जानते हैं, लेकिन आज हम दो ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं जिसका कोई नाम नहीं है।
देश के विभिन्न कोनों में स्थित इन बेनाम स्टेशनों ने यात्रियों की जिज्ञासा बढ़ा दिया है, जो वास्तव में एक अनूठी कहानी को प्रदर्शित करता है। देश में हर रेलवे स्टेशन का अपना नाम है मगर दो ऐसे रेलवे स्टेशन हैं जिसका कोई नाम ही नही हैं। दरअसल, वहां के रेलवे स्टेशन का ऑफिसियल नामकरण नही किया गया है, जिस वजह से वहां के स्टेशन बोर्ड पर कोई नाम नही है।
कालका-शिमला रेलवे लाइन
यह धरमपुर और बड़ोग के बीच का रहस्यमयी स्टेशन आपको हैरान कर देगा। यह नामहीन स्टेशन ब्रिटिश काल के दौरान हुई थी। यह एक दुखद घटना का परिणाम बताया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब रेलवे स्टेशन का निर्माण किया जा रहा था, तो एक दुर्घटना के कारण ब्रिटिश इंजीनियर की जान चली गई, जिससे परियोजना अधूरी रह गई। मृत इंजीनियर के सम्मान और स्मृति में स्टेशन को कभी कोई नाम नहीं दिया गया।
आज उस स्टेशन से गुजरने वाले यात्री श्रद्धा और साज़िश की भावना महसूस किए बिना नहीं रह सकते। वह अपने हरे-भरे चाय के बागानों और खूबसूरत नज़ारों के लिए जाना जाने वाला क्षेत्र है। कहा जाता है कि ब्रिटिश राज के दौरान इस स्टेशन का नाम पास के एक गांव के नाम पर रखा गया था। हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, गाँव का धीरे-धीरे पतन होता गया और सामूहिक स्मृति से इसका नाम फीका पड़ गया। इस वजह से स्टेशन ने अपना नाम भी खो दिया।
झारखंड के लोहरदगा जिले का रेलवे स्टेशन
यह रेलवे स्टेशन झारखण्ड से टोरा जाने वाले रस्ते में पड़ता है, यह रेलवे स्टेशन बेनाम है। आपकी जानकरी के लिए बता दूँ की यह स्टेशन का 2011 में निर्माण किया गया था। इसका नाम बड़कीचांपी रखा गया था, मगर इस रेलवे स्टेशन का नाम गाँव वालों को किसी कारण से पसंद नही आया, जिस वजह से गाँव वालों ने इसका विरोध किया। यही कारण है कि इसका ऑफिसियल नाम नही पड़ा और यह रेलवे स्टेशन बेनाम रह गया।
बंकुरा-मसग्राम रेलेव लाइन
यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल में स्तिथ है। इसका भी कोई नाम नही है। यह स्टेशन पश्चिम बंगाल के वर्तमान रेलवे स्टेशन से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। आपकी जानकरी के लिए बता दूं कि इस रेलवे स्टेशन का नाम पहले रैनागढ़ स्टेशन था। मगर स्थानीय लोगों के विरोध करने के कारण यह नाम हटा दिया गया। इसी वजह से यह रेलवे स्टेशन अभी भी बिना नाम के चल रहा है। वहां पर स्थानीय यात्रियों के अलावा जो लोग आते आते हैं उन्हें बेनाम स्टेशन देख बहुत हैरानी होती है। वहां की टिकेट रेलवे स्टेशन रैनागढ़ के नाम से ही मिलती है।