JCB मशीन पीले रंग में ही क्यों बनती है? इसमें लाल, हर, नीले जैसे कलर क्यों नहीं आते? जानिए

JCB मशीन पीले रंग में ही क्यों बनती है? इसमें लाल, हर, नीले जैसे कलर क्यों नहीं आते? जानिए

‘जेसीबी’ (JCB) भारत में ये ब्रांड बहुत ज्यादा मशहूर है। आप ने भी अपने आसपास के इलाके में जेसीबी कंपनी की कई मशीनें देखी होंगी।  भारत में तो लोगों का JCB को लेकर अलग ही लेवल का क्रेज है। जब भी कहीं JCB की खुदाई होती है तो उसे देखने लोगों की भीड़ अपने आप ही आ जाती है। हद तो तब हो जाती है जब लोग कई घंटों तक बिना बोर हुए JCB की खुदाई देखते रहते हैं। अब इसी बात से आप भारत में जेसीबी कंपनी की ब्रांड वैल्यू का अंदाजा लगा सकते हैं।

यदि आप ने नोटिस किया हो तो जेसीबी की अधिकतर मशीनें पीले रंग की ही होती है। उसे लाल, हरा या नीला रंग नहीं दिया जाता है। ये आपको एक खास पीले रंग में ही दिखाई देगी। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर जेसीबी वाले अपनी मशीनों को पीले रंग से ही क्यों रंगते हैं। आज हम इस राज से पर्दा उठाने जा रहे हैं। लेकिन इसके पहले चलिए JCB से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जान लें।

JCB एक मशीन निर्माण कंपनी है जिसका मेन हेडक्वाटर स्टैफोर्डशायर, इंग्लैंड में है। मतलब यह एक ब्रिटिश मशीन निर्माण कंपनी है। इसकी बनाई गई मशीनें दुनिया भर में इस्तेमाल होती है। ये अधिकतर कंस्ट्रक्शन से जुड़े कामों में काम आने वाली मशीनें ही बनाती है। इस कंपनी की योजनाएं विश्व के 4 महाद्वीपों में हैं।

इस कंपनी की एक और दिलचस्प बात ये है कि ये विश्व की पहली अनाम मशीन भी है। इसे मशीन को 1945 में लॉन्च किया गया था। तब इसे बनाने वालों ने कई दिनों तक इसके नाम के बारे में सोचा, लेकिन कुछ अच्छा सुझा नहीं। फिर बाद में इसका नाम जोसेफ सायरिल बमफोर्ड (JCB) रख दिया गया।

आप में से बहुत कम लोग ये बात जानते होंगे कि जेसीबी भारत में अपनी फैक्ट्री शुरू करने वाली पहली ब्रिटिश प्राइवेट कंपनी थी। वर्तमान में हिंदुस्तान विश्व में जेसीबी मशीनों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। जोसेफ सिरिल बमफोर्ड की पहली मशीन एक टिपिंग ट्रेलर था जिसे 1945 में लॉन्च किया गया था। तब इसकी मार्केट में कीमत 45 पाउंड (लगभग 4000 रुपये) थी।

जेसीबी ही वह कंपनी थी जिसने दुनिया का पहला और सबसे तेज ट्रैक्टर ‘फास्ट्रैक’ बनाया था। ये ट्रैक्टर उन्होंने साल 1991 में लॉन्च किया था। तब इस ट्रैक्टर की अधिकतम रफ्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इस ट्रैक्टर को ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ का अवॉर्ड भी मिला था। 1948 में जेसीबी कंपनी में केवल 6 कर्मचारी काम करते थे, लेकिन वर्तमान में इस कंपनी में 11 हजार के आसपास कर्मचारी हैं जो पूरे विश्व में काम कर कंपनी का नाम रौशन कर रहे हैं।

इसलिए पीले रंग की होती है JCB

शुरुआत में जेसीबी मशीनों को सफेद एवं लाल रंग में बनाया जाता था। हालांकि बाद में कंपनी ने इसका रंग पीला कर दिया। अब वे अपनी सभी मशीनें पीले रंग की ही बनाते हैं। इसकी वजह ये है कि पीले रंग की जेसीबी को खुदाई स्थल पर आसानी से दूर से देखा जा सकता है। इससे लोगों को पता लग जाता है कि यहां पर जेसीबी की खुदाई का काम चल रहा है।

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