Himachali Khabar – (ब्यूरो)। कानून में किरायेदारों व मकान मालिकों के लिए अलग-अलग प्रावधान किए गए हैं। कानून के अनुसार (tenant and landlord rights in law) मकान मालिक ही नहीं, बल्कि किरायेदारों के अधिकारों को भी सुरक्षित किया गया है। किरायेदार या उसके परिवार पर आने वाली एक स्थिति ऐसी है, जिसमें मकान मालिक किरायेदार से मकान खाली करने के लिए नहीं कह सकता। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में आए एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अहम निर्णय सुनाया है।
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इस स्थिति में नहीं करवा सकते मकान खाली –
सुप्रीम कोर्ट ने किरायेदारी से जुड़ा एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी किरायेदार की किसी के मकान में किराये पर रहने के दौरान मौत हो जाती है तो उसके परिवार को मकान में रहने का अधिकार (kirayedar ke adhikar) मिलेगा। इसके अलावा, मृतक के परिवार से यह नहीं कहा जा सकता कि वे उपकिराएदारी के कारण मकान खाली करें। यह निर्णय किरायेदार के परिवार के हक को सुरक्षित करता है।
हाईकोर्ट के निर्णय को किया रद-
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court)के एक फैसले को पलट दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में किराएदार के परिवार को आधार मानकर मकान को खाली घोषित करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने किराएदारी, किराया और मकान खाली करने से जुड़े एक्ट यूपी शहरी भवन अधिनियम 1972 की धारा 16 (1) बी के तहत इस मामले में सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision) ने इस फैसले को सही नहीं माना और इसे रद कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी –
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट (high court decision on property) को इस मामले में अपीलीय सुनवाई नहीं करनी चाहिए थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 227 के तहत हाईकोर्ट को अपीलीय अधिकार नहीं मिलता। इस मामले में हाईकोर्ट ने देहरादून के जिला जज के आदेश के खिलाफ याचिका स्वीकार की और उस पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट (supreme court decision on property) ने हाईकोर्ट के आदेश से असंतुष्टि भी जताई।
यह था पूरा मामला –
इस मामले में मसूरी में संजय कुमार नामक मकान मालिक ने 1999 में कोर्ट में एक केस (sanjay kumar tenant case) दायर किया था। उसका आरोप था कि उनके किरायेदार रशीद अहमद ने उनकी अनुमति के बिना संपत्ति को किसी और को किराए पर दे दिया था। इसके बाद, मकान मालिक ने किरायेदार के बेटे मोहम्मद इनाम से अपनी संपत्ति को खाली करने की मांग की। यह मामला निचली अदालत में चल रहा था।
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जांच में यह आया था सामने-
यूपी शहरी भवन अधिनियम 1972 (UP Urban Building Act 1972) के तहत, जब एक निरीक्षक ने संजय कुमार की संपत्ति की जांच की तो उन्हें पाया कि वहां से किराएदार रशीद अहमद गायब है। मकान में कुछ अन्य लोग थे, जबकि रशीद अहमद अपने गांव गया हुआ था। निरीक्षक ने इस पर रिपोर्ट तैयार की और धारा 16 (1) बी के तहत संपत्ति (tenant right on property) को खाली घोषित कर दिया, क्योंकि वहां उस समय किराएदार मौजूद नहीं था।