Himachali Khabar (supreme court decision on income tax) : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि आयकर विभाग केस से संबंधित मामलों की जांच कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court) से पहले अलग अलग हाईकोर्ट्स से फैसला टैक्सपेयर्स के पक्ष में आया था। वहां से आयकर विभाग को झटका लगा था, लेकिन अब सुप्रीम के सुप्रीम फैसले में आयकर विभाग का पक्ष लिया गया है।
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90 हजार ITR के मामले खोलने का फैसला सही
आयकर विभाग के हम में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट (supeme court) ने 90 हजार आईटी रिटर्न (ITR) के मामलों को रीओपन करने के फैसले को ठीक करार दिया है। ये 90 हजार मामले पुराने प्रावधानों के तहत विभाग ने खोले थे।
आयकर विभाग ने दिए थे नोटिस
दरअसल, आयकर विभाग ने 1 अप्रैल 2021 को नोटिस (Income Tax Notice) दिए थे। नोटिस जारी होने के बाद अलग अलग हाई कोर्टों में 9 हजार से ज्यादा याचिकाएं नोटिसों को चुनौती देने के लिए लगाई गई थी। ज्यादातर मामलों में कोर्टों (court decision) ने भी टैक्सपेयर्स के हम में फैसला दिया।
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कब से कब तक के हैं नोटिस
आयकर विभाग की ओर से जारी रिएसेसमेंट (ITR Notice) के नोटिस 2013-14 से 2017-18 तक के एसेसमेंट वर्ष के हैं। नोटिस एकल व्यक्तियों और कॉरपोरेट कंपनियों को दिए गए हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन नोटिसों में हजारों करोड़ रुपये शामिल हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था यह मामला
सर्वोच्च अदालत (supreme court) में जो मामला पहुंचा उसमें फैसला करना था कि इनकम टैक्स के अधिनियम के पूर्व-संशोधित प्रावधानों के तहत इनकम टैक्स डिपोर्टमेंट के एक अप्रैल 2021 के बाद रिएसेसमेंट खोले जा सकते है क्या। इस संसोधन से पहले छह साल पुराने मामलों को रि एसेसमेंट के लिए खोला जा सकता था। इसके लिए एस्केप्ड आय एक लाख रुपये या ज्यादा होनी थी।
बदल दिया गया था नियम
आयकर विभाग (Income tax) ने छह साल वाले पुराने नियम में 2021 में संशोधन किया। इसमें यह समय अवधि बदल दी गई थी। नए संसोधन के अनुसार इनकम टैक्स अधिकारी तीन वर्ष पहले के मामलों को रिएसेसमेंट के लिए खोल सकते थे। इसमें भी अगर एस्केप्ड इनकम 50 लाख रुपये से अधिक आय न हो। अगर 50 लाख से ज्यादा एस्केप्ड इनकम हुई तो 10 साल तक के मामले खोले जा सकते थे।
संसोधन में जोड़ा गया नया प्रावधान
2021 के संशोधन में एक नया प्रावधान भी जोड़ा गया। यह धारा 148ए के अधिन आता है। इसके लिए आयकर विभाग (Income Tax Department) पहले कारण बताओ नोटिस भेजेगा, फिर रिएसेसमें नोटिस भेजेगा। सरकार के इस फैसले से टैक्सपेयर्स को लाभ पहुंचा और उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार मिला। इसमें आयकर अधिकारी को भी जवाब पर विचार करना जरूरी किया गया।
रिएसेसमेंट पर यह है सुप्रीम कोर्ट तर्क
मीडियो रिपोर्ट्स के अनुसार अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया है कि आयकर विभाग की ओर से माना गया है कि संशोधित कानून (amended law IT laws) के अनुसार समय विस्तार निर्धारण वर्ष 2015-16 पर लागू नहीं है। इस वित्त वर्ष पर यह कार्यवाही समय अवधि समाप्त होने के कारण मान्य नहीं है। जबकि एसेसमेंट वर्ष 2013-14 और 2014-15 के लिए फिर से एसेसमेंट को वैध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने बोला है कि संशोधित प्रावधानों (provisions) को संशोधित कानून (amended law) के साथ ही पढ़ा जाना चाहिए।