भारत की इस जगह 7000 रुपए लीटर बिकता है गधी का स्पेशल दूध, जानें इसकी खासियत.


भारत की इस जगह 7000 रुपए लीटर बिक रहा गधी का स्पेशल दूध, जानें इसकी खासियत – देश में डेयरी का बिजनेस (Dairy business) बहुत ज्यादा प्रचलित है. यह बिजनेस किसानों और पशुपालकों को अच्छी आमदनी कमाने का एक बेहतर मौका देता है. डेयरी वाले उत्पादों को गाय या भैंस के दूध से बनाया जाता है. मगर अब गुजरात में एक खास किस्म की गधी के दूध की डेयरी (donkey milk dairy in Gujarat) कई जगहों पर खोली जा रही है.

आपको बता दें कि गधी का दूध बहुत महंगा बिकता है. शायद आप सुनकर हैरान हो जाएंगे कि यहां गधी का दूध 7000 रुपए प्रति लीटर तक बेचा जा रहा है, इसलिए गुजरात में हलारी नस्लों का दूध बहुत लोकप्रिय हो रहा है. इस नस्ल की गधी की सौराष्ट्र में ही पाई जाती है. ये जामनगर और द्वारिका में मिलते हैं. आप ये लेख हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। वहीं इनकी डेयरी भी खुल रही हैं. दरअसल, पहले इनका इस्तेमाल सामान लाने ले जाने के लिए किया जाता है, लेकिन बाद में दूध निकालने का काम शुरू किया गया. इन्हें एक खास समुदाय पालकर दूध निकाला जाता है.

हलारी नस्ल की संरचना: इस नस्ल के गधे और गधी सफेद रंग के पाए जाते हैं. इनकी कद काठी मजबूत और सामान्य होती है. हरियाणा के करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो ने भी इन पर रिसर्च की है, जिसमें इन्हें खास नस्ल का बताया गया है.

गधी के दूध के फायदे

  • गधी का दूध आंतों का संक्रमण कम करता है.
  • सिरदर्द के लिए बेहतर होता है.
  • इस दूध में लैक्टोज इंटोलेरंट्स होता है.
  • यह ऑस्टियोपोरोसिस के लिए उपयोगी है.
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ा देता है.

बाल और सौंदर्य के लिए फायदेमंद है, इसलिए सौंदर्य उत्पादों और त्वचा के निखार में इस्तेमाल में लाए जाने वाले उत्पादों में इसका इस्तेमाल होता है.
गधी के दूध की मांग बढ़ी

देश में लगातार गधी के दूध की मांग बढ़ती जा रही है. बता दें कि इसके दूध से दुनिया का सबसे महंगा पनीर बनता है, जिसको प्यूल चीज़ कहा जाता है. ये पनीर साल 2012 में तब चर्चा में आया था, जब सर्बिया के टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच के बारे में कहा गया था कि सालाना उन्हें यह पनीर सप्लाई किया जाता है, हालांकि नोवाक ने इस खबर का खंडन किया था. 

खास बात है कि एक गधी एक दिन में एक लीटर दूध भी नहीं देती है, जबकि एक गाय से 40 लीटर तक दूध मिल सकता है. ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। यही वजह है कि इस पनीर का उत्पादन बहुत कम होता है. बताया जाता है कि एक साल में ये फॉर्म 6 से 15 किलो तक पनीर बनाता और बेचता है. इसका उत्पादन कम होता है, इसलिए इसकी कीमत बहुत ज्यादा हैं.

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