हालांकि एनडीए के पास बहुमत से अधिक सीटें हैं. बीजेपी अन्य पार्टियों को भी गठबंधन में शामिल करने की योजना बना रही है. यह कदम न केवल सरकार को स्थिरता प्रदान करेगा बल्कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी एक मजबूत समर्थन आधार तैयार करेगा.
इंडिया गठबंधन के पास कितनी सीट?
वहीं, इंडिया गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस के पास 99 सीट है, जबकि उसकी सहयोगी- सपा को 37, टीएमसी को 29, डीएमके को 22, शिवसेना-उद्धव को 9, एनसीपी शरद पवार को 8, आरजेडी को 4, सीपीएम को 4, IUML को 3, AAP को 3, JMM को 3, CPI (ML) (L) को 2, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2, सीपीआई को 2, VCK को दो, RSP को 1, RLP को एक, केरल कांग्रेस को एक, MDMK को एक, आदिवासी पार्टी को एक सीटें मिली हैं.
इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की कितनी रही मजबूती
इंडिया गठबंधन के पास 234 सीटें हैं जो बहुमत के लिए आवश्यक 272 सीटों से 38 कम हैं. कांग्रेस के नेतृत्व में यह गठबंधन कई दलों का मिश्रण है. कांग्रेस के पास 99 सीटें हैं. समाजवादी पार्टी को 37, टीएमसी को 29, डीएमके को 22, शिवसेना-उद्धव को 9, एनसीपी शरद पवार गुट को 8, आरजेडी को 4, सीपीएम को 4, IUML को 3, AAP को 3, JMM को 3, CPI (ML) (L) को 2, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 2, सीपीआई को 2, VCK को 2, RSP को 1, RLP को 1, केरल कांग्रेस को 1, MDMK को 1, और आदिवासी पार्टी को 1 सीट मिली है.
वहीं दूसरी ओर अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के हिस्से में कुल 17 सीटें आई हैं. इनमें निर्दलीय को 7, YSR कांग्रेस को 4, AIMIM को 1, आजाद समाज पार्टी को 1, शिरोमणी अकाली दल को 1, SKM को 1, ZPM को 1, और VOTPP को 1 सीट मिली है.
भाजपा जिसके पास वर्तमान में 292 सीटें हैं और उसके सहयोगी दलों के पास 240-240 सीटें हैं, एनडीए का विस्तार करने का प्रयास कर रही है. ऐसे में यह संभावना है कि बीजेपी निर्दलीय और छोटे दलों जैसे YSR कांग्रेस, शिरोमणी अकाली दल, या अन्य निर्दलीय विधायकों से संपर्क कर सकती है ताकि गठबंधन को और मजबूत किया जा सके. इन दलों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन एनडीए को न केवल बहुमत बनाए रखने में मदद करेगा बल्कि उसकी स्थिरता और प्रभावशीलता को भी बढ़ाएगा.
उद्धव और अकाली दल आएंगे साथ?
इसके साथ ही भाजपा अपने पुराने सहयोगियों को भी वापस लाने की कोशिश करेगी, जिसमें शिवसेना-उद्धव और शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं, जिनके पास 10 सीटें हैं. इसके अलावा बीजेपी को ऑल इंडिया गठबंधन के बाकी दलों का समर्थन मिलना भी मुश्किल लग रहा है, क्योंकि इन दलों की पूरी राजनीति ही बीजेपी विरोध पर आधारित है. बीजेपी को वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन भी मिलना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि उसकी विरोधी पार्टी टीडीपी फिलहाल एनडीए का हिस्सा है.
शिंदे के रहते उद्धव को कैसे साधेगी बीजेपी?
इसके अलावा आपको बता दें कि भाजपा की नजर कुछ निर्दलीय सांसदों पर भी हो सकती है. हालांकि कई निर्दलीय सांसद भारत गठबंधन के साथ जाने में ज्यादा सहज हो सकते हैं. ऐसे में अगर भाजपा कोशिश करती है तो शिवसेना-उद्धव और शिरोमणि अकाली दल उसके साथ आ सकते हैं, लेकिन मौजूदा हालात में यह काफी मुश्किल नजर आ रहा है. अगर बीजेपी उद्धव ठाकरे को अपने साथ लाने की कोशिश करती है तो संभव है कि एकनाथ शिंदे नाराज़ हो जाएं. ऐसे में क्या बीजेपी 9 सांसदों को एनडीए का हिस्सा बनाने के चक्कर में 7 सांसदों वाली पार्टी शिवसेना को नाराज कर पाएगी?