
मुंबई। अभिनेता सैफ अली खान के अज्ञात हमलावर द्वारा चाकू से किए गए हमले के बाद उन्हें अस्पताल ले जाने वाले ऑटो ड्राइवर और लीलावती अस्पताल में उनकी अगवानी करने वाले डॉक्टर के बयान से गुरुवार को सामने आए सैफ के स्टाफ के बयान मेल नहीं खा रहे हैं। इससे इस हमले का रहस्य और गहराता दिख रहा है। दूसरी ओर लगभग 40 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस सही हमलावर तक पहुंचने में नाकाम रही है।
ऑटो ड्राइवर ने बताई पूरी कहानी सैफ अली खान पर उनके घर में एक अज्ञात हमलावर ने बुधवार-गुरुवार की मध्यरात्रि चाकू से हमला किया था। उसके बाद उन्हें अस्पताल ले जानेवाले ऑटो ड्राइवर भजनलाल आज समाचार चैनलों पर बयान देते देखे गए।
उन्होंने साफ कहा है कि उस रात करीब ढाई बजे सतगुरु शरण बिल्डिंग के सामने एक महिला ने आवाज देकर रुकवाया। ऑटो रुकने के बाद खून से लथपथ एक व्यक्ति उनके ऑटो में आकर बैठा। घायल व्यक्ति के साथ सात-आठ वर्ष का एक बच्चा और लगभग 50 वर्ष का एक और शख्स था। उस समय भजनलाल सैफ को पहचान नहीं पाए।
शार्ट कट रास्ते से अस्पताल पहुंचाया गया घायल व्यक्ति ने पहले उन्हें बांद्रा के होली फैमिली अस्पताल चलने के कहा। मगर तुरंत बाद लीलावती अस्पताल चलने को कहा। भजनलाल के अनुसार घायल व्यक्ति रास्ते में बच्चे के साथ अंग्रेजी में कुछ बात करता चल रहा था। 10 मिनट के अंदर ही शार्ट कट रास्ते से भजनलाल ने उन्हें लीलावती अस्पताल पहुंचा दिया।
मैं सैफ अली खान हूं…स्ट्रेचर ले आओ अस्पताल की लॉबी में पहुंचने के बाद घायल व्यक्ति ने वहां खड़े अटेंडेंट्स को जोर से कहा कि मैं सैफ अली खान हूं। जल्दी से स्ट्रेचर ले आओ। तब भजनलाल को पता चला कि उसके ऑटो में बैठकर कोई सिने स्टार आया है। अस्पताल का स्टाफ सैफ को स्ट्रेचर पर लेकर अंदर चला गया और भजनलाल बिना पैसे लिए बाहर आ गए।
आया के बयान से गहराया रहस्य इसी कड़ी में दूसरा बयान अस्पताल के मुख्य परिचालन अधिकारी डॉ.नीरज उत्तमानी का आया है। जिसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं कि घायल अवस्था में भी सैफ अली खान बिल्कुल शेर की तरह अपने बेटे तैमूर के साथ ऑटो से उतरकर अस्पताल में आए।
डॉक्टर एवं ऑटो चालक, दोनों में से किसी के बयान में सैफ के बड़े बेटे इब्राहिम का कोई जिक्र नहीं आता। जबकि गुरुवार को पुलिस द्वारा जारी किए गए सैफ के बेटे जहांगीर की आया (नैनी) लीमा के बयान में कहा गया था कि सैफ अपने बड़े बेटे इब्राहिम के साथ लीलावती अस्पताल गए।
करीना क्यों नहीं गईं अस्पताल? बता दें कि इसके अलावा सैफ पर हमले के समय उनकी पत्नी करीना कपूर भी घर पर ही थीं। लेकिन इस तथ्य पर भी सवाल उठ रहे हैं कि अगर करीना घर पर थीं तो संकट के समय बुरी तरह घायल हो चुके अपने पति के साथ वह स्वयं अस्पताल क्यों नहीं गईं? सैफ को एक स्टाफ एवं अपने आठ साल के बेटे के साथ ही अस्पताल क्यों जाना पड़ा?
कैसे खुला डिजिटल लॉक? अभी इस रहस्य से भी परदा नहीं उठ सका है कि हमलावर सैफ के अति सुरक्षित घर के अंदर घुसा कैसे। मुंबई की बिल्डिंगों में सामान्य फ्लैटों में भी लोग सेफ्टी डोर लगवाकर रखते हैं। ताकि किसी आगंतुक की पहचान हो जाने के बाद ही बाहर का दरवारा खोला जा सके। जबकि सैफ के घर आने-जाने वालों का कहना है कि उनके द्वार पर डिजिटल लॉक लगा था, जो आवाज की पहचान से ही खुल सकता था। फिर यह दरवाजा एक अज्ञात व्यक्ति के लिए कैसे खुल गया?
सोसायटी की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल मुंबई की साधारण हाउसिंग सोसायटीज में भी वहां का प्रबंधन सोसायटी की समिति करती है, जिसमें मुख्य भूमिका चेयरमैन एवं मानद सचिव की होती है। सोसायटी की सुरक्षा व्यवस्था एवं बिजली-पानी-पार्किंग की व्यवस्था सोसायटी समिति ही देखती है।
सुरक्षा के लिए सामान्यतया प्रतिष्ठित प्राइवेट एजेंसियों के गार्ड्स रखे जाते हैं। अभी तक इस रहस्य से भी पर्दा नहीं उठ सका है कि सतगुरु शरण हाउसिंग सोसायटी में कुल कितने सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और किस कंपनी के सुरक्षा गार्ड काम कर रहे हैं। जबकि इस सोसायटी में सैफ अली खान और करीना कपूर जैसे फिल्मी सितारे रहते हैं।