(Himachali Khabar) Raja Jaichand: भारत का इतिहास समृद्ध और गौरवमयी रहा है जहां कई महान और वीर राजा हुए जिन्होंने अपने देश और जनता की भलाई के लिए संघर्ष किया। लेकिन इतिहास में कुछ ऐसे राजाओं का भी उल्लेख है जिन्होंने अपने स्वार्थ या व्यक्तिगत कारणों से देश को नुकसान पहुंचाया। राजा जयचंद भी उन्हीं में से एक थे जिनकी गद्दारी ने भारतीय साम्राज्य को भारी नुकसान पहुँचाया।
जयचंद और पृथ्वीराज चौहान का विवाद
राजा जयचंद का नाम भारतीय इतिहास में गद्दारी के लिए प्रसिद्ध है और इसका मुख्य कारण था उनका राजा पृथ्वीराज चौहान के प्रति वैरभाव। पृथ्वीराज चौहान को दिल्ली का सिंहासन मिला था जिसे लेकर जयचंद काफी नाराज थे। उनका मानना था कि पृथ्वीराज चौहान को सिंहासन पर बैठने का कोई हक नहीं था क्योंकि वह उनके ही राज्य से थे और जयचंद स्वयं दिल्ली के सिंहासन के योग्य समझे जाते थे।
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संयोगिता और पृथ्वीराज का विवाह
इसके अलावा जयचंद की बेटी संयोगिता का स्वयंवर भी एक और विवाद का कारण बना। जब संयोगिता ने पृथ्वीराज चौहान को अपना वर चुना तो जयचंद को यह अपमानजनक लगा। पृथ्वीराज ने संयोगिता को स्वयंवर से भगाकर ले लिया जिससे जयचंद का गुस्सा और बढ़ गया। इस घटना ने जयचंद को पृथ्वीराज का जानी दुश्मन बना दिया और वह उनसे बदला लेने की योजना बनाने लगे।
जयचंद का मोहम्मद गोरी से गठजोड़
पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच बढ़ते तनाव के बीच मोहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए कहा जाता है कि जयचंद ने गोरी का साथ दिया और उसे पृथ्वीराज से बदला लेने में मदद की। हालांकि यह दावा विवादास्पद है और इस पर ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते कि जयचंद ने वास्तव में गोरी की सहायता की थी।
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पृथ्वीराज की जीत और फिर हार
पहली बार जब मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज से युद्ध किया तो राजा पृथ्वीराज ने उसे हराया और गोरी की सेना को परास्त किया। लेकिन दूसरे युद्ध में जयचंद ने पृथ्वीराज का साथ नहीं दिया। कहा जाता है कि जयचंद ने गोरी से हाथ मिलाया और परिणामस्वरूप पृथ्वीराज चौहान को हार का सामना करना पड़ा।
गद्दारी की आंच
जयचंद की गद्दारी ने न केवल पृथ्वीराज चौहान को हराया बल्कि यह भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में अंकित हो गई। उनकी इस गद्दारी ने भारतीय साम्राज्य को कमजोर किया और विदेशी आक्रमणकारियों के लिए भारत में कदम रखने का मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि ऐतिहासिक प्रमाणों की कमी के कारण कुछ आलोचक इस बात से सहमत नहीं होते कि जयचंद ने गोरी की मदद की थी लेकिन उनके कार्यों ने निश्चित रूप से देश को नुकसान पहुँचाया।
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राजा जयचंद का इतिहास एक दुखद उदाहरण है जब व्यक्तिगत शत्रुता और स्वार्थ ने पूरे साम्राज्य को संकट में डाल दिया। उनकी गद्दारी ने पृथ्वीराज चौहान की सेना को हार दिलाई और भारतीय उपमहाद्वीप में आक्रमणकारियों का रास्ता आसान किया। यह घटना भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई जो हमें यह सिखाती है कि राजे-रजवाड़ों के बीच के विवादों का असर समग्र देश पर पड़ सकता है।