अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और शपथ ग्रहण में 2 माह का अंतर क्यों होता है?

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव और शपथ ग्रहण में 2 माह का अंतर क्यों होता है?

डोनाल्ड ट्रंप Image Credit source: Scott Olson/Getty Images

20 जनवरी का दिन अमेरिका की राजनीति में खास होता है. इसी दिन होता है इनोग्रेशन डे—यानी नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह. जैसे भारत में चुनाव के बाद नई सरकार शपथ लेकर कार्यभार संभालती है, वैसे ही अमेरिका में भी यह प्रक्रिया होती है. लेकिन एक बड़ा फर्क है.

भारत में चुनाव के तुरंत बाद नई सरकार का गठन हो जाता है. जिस पार्टी या गठबंधन को बहुमत मिलता है, उसके नेता को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं, और कामकाज शुरू हो जाता है. वहीं, अमेरिका में ऐसा नहीं होता. वहां चुनाव के नतीजे घोषित होने के पूरे दो महीने बाद शपथ ग्रहण होता है. आखिर ऐसा क्यों? ये परंपरा कब और क्यों शुरू हुई?

पावर ट्रांसफर में लगते हैं दो महीने

अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण (पावर ट्रांसफर) की प्रक्रिया को पूरा होने में लगभग 72 से 78 दिन लग जाते हैं. इसकी वजह सिर्फ आज की राजनीतिक प्रक्रियाएं ही नहीं, बल्कि इसका इतिहास भी है, जो 1776 में आजादी के दौर तक जाता है. उस समय अमेरिका की ज्यादातर आबादी दूर-दराज और ग्रामीण इलाकों में बसी थी. न तो आधुनिक ट्रांसपोर्ट थे, न ही तेज संचार के साधन. घोड़े-गाड़ियों के जरिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी, और रास्ते भी दुर्गम थे.

चुनाव के बाद वोटों की गिनती, इलेक्टोरल कॉलेज के इलेक्टर्स की बैठक, और आखिरकार इन वोटों को कांग्रेस तक पहुंचाने में महीनों लग जाते थे. यही वजह थी कि शुरुआत में चुनाव और शपथ ग्रहण के बीच 4 महीने का गैप रखा गया. कह सकते हैं कि यह देरी सिर्फ तकनीकी कारणों से शुरू हुई थी, लेकिन अब यह अमेरिका के लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा बन चुकी है.

संशोधन के जरिए तारीख तय हुई

1789 में पहले राष्ट्रपति के कार्यकाल की शुरुआत 30 अप्रैल से हुई थी. दूसरे राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 मार्च 1793 से शुरू हुआ और फिर यही प्रथा बन गई. नवंबर में चुनाव होने के बाद मार्च तक काफी समय बर्बाद होता था. कैबिनेट बनाने के लिए इतने वक्त की जरूरत नहीं थी.

हालांकि, 1933 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट की शपथ से पहले 20वें संशोधन (20th Amendment) के तहत इस अवधि को घटाकर 2 महीने कर दिया गया. और इस तरह 20 जनवरी को नए कार्यकाल के शुरुआत की तारीख तय की गई. एक बात और, वो ये कि भारत में प्रधानमंत्री अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ शपथ लेते हैं मगर अमेरिका में सिर्फ राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति शपथ लेते हैं. बाकी मंत्रियों को उनके ऑफिस में शपथ दिलाई जाती है.

शपथ ग्रहण में कौन कौन होगा शामिल?

अमेरिकी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपतियों के मौजूद रहने की परंपरा है. हालांकि, पिछली बार ट्रंप ने बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा नहीं लिया था. वह अमेरिका के 150 साल के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने ऐसा किया था. ट्रंप की गैरमौजूदगी में राष्ट्रपति की जिम्मेदारी तत्कालीन उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने निभाई थी.

ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति जो बाइडेन उनकी पत्नी जिल बाइडेन, उप राष्ट्रपति कमला हैरिस और उनके पति डग एमहॉफ रहेंगे. इस बार शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश उनकी पत्नी लौरा बुश और बिल क्लिंटन और हिलेरी क्लिंटन के भी मौजूद रहने की बात कही जा रही है.

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