
नक्सली दंपत्ति ने किया सरेंडर
छत्तीसगढ़ का जिला बस्तर बीते 4 दशकों से माओवाद का दंश झेल रहा है. इसी बस्तर की लहूलुहान वादियों में बारूद के ढेर पर मोहब्बत के फूल भी खिल रहे हैं. ऐसा ही एक मामला कुख्यात नक्सली रंजीत और उसकी पत्नी काजल का सामने आया है. तमाम बंदिशों के बीच इस हार्डकोर नक्सली जोड़े ने पहले शादी की और अब अपनी मुहब्बत की खातिर माओवाद छोड़ कर देश की मुख्य धारा में लौट आए हैं. 15 जनवरी को नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार के सामने इन दोनों ने हथियार डाल दिए. कहा कि अब देश के सच्चे सिपाही बनकर दिखाएंगे.
8-8 लाख रुपये के इनामी नक्सली रहे रंजीत और उसकी पत्नी काजल के हृदय परिवर्तन के पीछे भी एक कहानी छुपी है. रंजीत ने बताया कि 4 अक्टूबर 2024 अबूझमाड़ के जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेंड हुआ था. इस दौरान वह अपनी जान बचाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया और ऑपरेशन जारी रहने तक करीब 48 घंटे वह उसी पेड़ पर टहनियों की बीच छिप कर बैठा रहा. इस दौरान उसने अपने कई साथियों को पुलिस की गोलियों से छलनी होते देखा. यह देखकर उसके मन में भय बैठ गया. यह भय उसे अपनी पत्नी से बिछड़ने का था.
माओवादी लीडर के व्यवहार ने डाला आग में घी
ऑपरेशन खत्म होने के बाद उसने पत्नी काजल से बात की और नक्सलवाद छोड़ कर राष्ट्र की मुख्य धारा में लौटने का फैसला कर लिया. रंजीत के मुताबिक माओवादी लीडर्स के व्यवहार ने उसके फैसले को और दृढ कर दिया. दरअसल जब वह ऑपरेशन के बाद जिंदा बचकर माओवादियों के ठिकाने में पहुंचा तो तब सीसी मेंबर ने मुठभेड़ में मिली नाकामी का पूरा ठिकरा लोकल नक्सलियों पर फोड़ दिया. यही नहीं, लोकल माओवादियों को अकेला छोड़ कर लीडर इस इलाके से चले गए थे.
8-8 लाख के इनामी हैं दोनों नक्सली
इससे भी मन में असुरक्षा का भाव पैदा हुआ और अब फाइनली उसने माओवाद को तिलांजलि दे दी है. मूल रूप से बीजापुर के गंगालूर गांव निवासी काजल(30) और रंजीत वर्ष 2004 से 2025 के बीच कई नक्सल घटनाओं में शामिल रहें हैं. दोनों पर पुलिस की ओर से आठ-आठ लाख रूपये का इनाम घोषित किया है. रंजीत लेकामी पूर्व बस्तर डिवीजन, कंपनी 06 प्लाटून 01 सेक्सन बी कमाण्डर के रूप में सक्रिय रहा हैं.
प्यार की भी है अलग कहानी
माओवादी काजल और रंजीत के बीच प्यार की भी एक अलग कहानी है. दरअसल ओडिशा के जंगल में रहने के दौरान ही काजल और रंजीत के बीच प्यार हो गया. इसके बाद दोनों ने शादी का फैसला किया. चूंकि शादी नक्सलियों की परंपरा के खिलाफ है. इसलिए इन्हें रोकने की खूब कोशिश की गई. फिर भी जब दोनों शादी के इरादे से पीछे नहीं हटे तो शादी से एक महीने पहले रंजीत की नसबंदी करा दी गई. इसके बाद ओडिशा के ही जंगल में दोनों शादी कर ली. इस शादी के बाद भी नक्सलियों ने दोनों को अलग करने की खूब कोशिश की. इसके लिए इन्हें अबूझमाड़ भेजकर कंपनी नंबर छह के सेक्शन नंबर एक और दो में तैनात कर अलग करने की कोशिश की गई.