
Mahakumbh 2025Image Credit source: PTI
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है. जिसमें अखाड़ों के साधु-संत ही इस महाकुंभ में आकर्षण का मुख्य केंद्र बने हुए हैं. देश में 13 मान्यता प्राप्त साधु संतों के अखाड़े हैं. ये बात तो सभी जानते हैं कि अखाड़ों में धार्मिक गतिविधियां की जाती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं अखाड़ों की अपनी कोतवाली होती है. इनके अपने कानून और व्यवस्थाएं होती हैं.
अखाड़ों में क्या और कैसे दी जाती है सजा?
अखाड़ों की जो कोतवाली होती है उसमें साधु संतों से संबंधित मामले देखे जाते हैं. अखाड़ों की अपनी सजाएं होती हैं, जो साधु संतों और उनके अनुयायियों को अखाड़ों के कानून तोड़ने पर दी जाती है. अखाड़ों में जो सजाएं दी जाती हैं वो समाज की पारंपरिक व्यवस्था से अलग होती हैं. आइए जानते हैं अखाड़ों में क्या और कैसी सजाएं दी जाती हैं. यही नहीं अखाड़ों में सजा देने का अधिकार किसके पास होता है.
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अखाड़ों के वरिष्ठ संतों की होती है भूमिका
अखाड़ों की जो कोतवाली होती है वही वहां की आंतरिक व्यवस्था और अनुशासन देखती है. कोतवाली में साधु संतों के बीच विवाद, अनुशासनहीनता, और अन्य मामले निपटाए जाते हैं. अखाड़ों के जो वरिष्ठ संत होते हैं वो उस दौरान पंचायत की भूमिका में होते हैं. अखाड़ों के वरिष्ठ संतों के पास ही अखाड़ों की कोतवाली में फैसले लेने का अधिकार होता है.
अखाड़ों में कानून किस आधार पर बनते हैं
अखाड़ों में कानून का आधार परंपराएं और आस्थाएं होती हैं. इन्हीं के आधार पर अखाड़ों में कानून बनाए जाते हैं. अखाड़ों में हल्के और गंभीर दोनों ही तरह की अपराधों पर सजा दी जाती है. अखाड़ों में अगर कोई अनुशासनहीनता या नियमों के उल्लंघन करता है, तो उसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने या भजन-कृतन का आदेश दिया जाता है.
अखाड़ों में गंभीर अपराधों पर दी जाती है ये सजा
वहीं अगर अखाड़ों में कोई गंभीर अपराध करता है. साथ ही उस पर अपराध के आरोप साबित हो जाते हैं, तो ऐसे में दोषी को कोतवाली के फैसलों को मानना होता है. गंभीर अपराधों में दोषी को अखाड़े और समुदाय से अलग कर दिया जाता है. वहीं दोषी को कठोर साधना करके अपराध का प्रायश्चित करने के लिए भी कहा जाता है.
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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.