
भारतीयों को अमेरिका में बसने की चाहत क्यों
अमेरिका लंबे समय से दुनियाभर के लोगों के लिए सपनों की भूमि रहा है. भारतीयों के लिए भी अमेरिका का आकर्षण कम नहीं हुआ है. हर साल लाखों भारतीय अमेरिकन ड्रीम को साकार करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं. इस सपने के पीछे आर्थिक स्थिरता, बेहतर जीवनशैली और करियर के सुनहरे अवसर जैसी कई वजहें होती हैं.
मगर इस सपने को साकार करना इतना आसान भी नहीं है , खासकर उन लोगों के लिए जो अवैध रास्तों का सहारा लेते हैं. अवैध रास्ते अपनाने में जोखिम और कठिनाइयां हैं, जबकि कानूनी रूप से बसने में समय और संसाधनों की आवश्यकता होती है. बावजूद इसके, भारतीयों की अमेरिका की ओर बढ़ती संख्या बताती है कि अमेरिकन ड्रीम का जादू आज भी कायम है.
ट्रंप 2.0: प्रवासियों के लिए कड़े कदम
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. मेक्सिको सीमा पर आपातकाल लागू करने से लेकर जन्म से नागरिकता देने वाले प्रावधान को खत्म करने का आदेश, इन फैसलों का असर अप्रवासी समुदाय पर पड़ रहा है. भारतीय प्रवासी भी इससे अछूते नहीं हैं. अमेरिका में अनुमानित 54 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें से दो तिहाई अप्रवासी हैं.
वहीं अमेरिकी दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि हम अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों नागरिकों की वापसी के लिए तैयार है. खबर है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 18 हजार भारतीयों की देश वापसी होगी. अमेरिकी वेबसाइट ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक इनके पास अमेरिका की नागरिकता नहीं है, वहां की नागरिकता हासिल करने के लिए सही कागज दस्तावेज भी नहीं हैं.
डंकी रूट से अमेरिका: जोखिम भरा सफर
पिछले कुछ वर्षों में डंकी रूट के जरिए अमेरिका पहुंचने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ी है. यह रास्ता बेहद खतरनाक है जिसमें एजेंट्स या तस्करों की मदद ली जाती है. इन एजेंट्स के जरिए पहले भारतीयों को मध्य पूर्व, यूरोप या अफ्रीका भेजा जाता है, और अंत में मेक्सिको या कनाडा के रास्ते अमेरिका पहुंचाया जाता है.
यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (USCBP) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच 90,415 भारतीयों को अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश करते हुए पकड़ा गया. इनमें से अधिकांश को मेक्सिको और कनाडा बॉर्डर पर रोका गया. कोविड-19 के बाद तो इस तरह की घटनाओं में तेज़ी आई है. 2020-21 में जहां 30,662 भारतीय पकड़े गए थे, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 90,415 हो गया.
अमेरिका में बसने की चाहत क्यों
भारत में बेरोजगारी और सीमित आर्थिक अवसर अमेरिका की ओर आकर्षित होने की प्रमुख वजह हैं. पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के अनुसार, 2023-24 में ग्रेजुएट्स और पोस्टग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारी दर 12% से अधिक थी. इसके ठीक उलट, अमेरिका में भारतीयों की औसत वार्षिक आय 60,000 से 65,000 डॉलर (लगभग 51-56 लाख रुपये) होती है. एक भारतीय-अमेरिकी परिवार की औसत वार्षिक आय 1.45 लाख डॉलर (करीब 1.25 करोड़ रुपये) है, जो अमेरिकी परिवारों की औसत आय 70,000 डॉलर से दोगुनी है.
मगर अमेरिका में ये खुशी सभी के हिस्से नहीं
हालांकि, अमेरिका में बसने का सपना सभी के लिए खुशहाल नहीं होता. प्यू रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि 23 लाख एशियाई अमेरिकी गरीबी में जी रहे हैं. इनमें भारतीय-अमेरिकियों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है, लेकिन हर 10 में से एक एशियाई अमेरिकी गरीब है. 38% एशियाई अमेरिकी वयस्क भोजन के लिए फूड बैंक या चैरिटेबल ट्रस्ट पर निर्भर रहते हैं. सर्वे में शामिल 47% लोगों का मानना था कि अमेरिका आकर भी उनके सपने पूरे नहीं हो सके. फिर भी, भारतीय-अमेरिकियों के बीच गरीबी दर केवल 6% है, जो एशियाई मूल के अन्य समुदायों से काफी कम है.
अमेरिका में बसने की चाहत सिर्फ आर्थिक स्थिरता तक सीमित नहीं है. यह जीवन की गुणवत्ता, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश का भी प्रतीक है. भारतीय-अमेरिकी समुदाय को उच्च आय, सुरक्षित जीवन और बेहतर अवसर मिलते हैं. लेकिन, इसके लिए उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.