जब हम पेट्रोल पंप पर तेल भरवाने के लिए जाते हैं तो पंप कर्मचारी तुरंत जीरो चेक करने के लिए बोलता है। यह इसलिए बोला जाता है ताकि आप देख सकें की मीटर जीरो (Petrol pump zero fraud) रुपये से चालू हो रहा है। अगर आप चूक गए और मीटर में पहले से रकम मौजूद रही तो आपके साथ ठगी हो सकती है। पर क्या फ्रॉड से बचने के लिए सिर्फ जीरो चेक करना काफी है? आपको बता दें कि पेट्रोल पंप मशीन ( petrol pump frauds in india) पर जीरो के अलावा आपको एक और जगह पैनी नजर रखनी चाहिए, वो है फ्यूल डेंसिटी।
पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल भरवाते समय केवल जीरो चेक करना ही नहीं बल्कि डेंसिटी चेक (How to check Petrol density) करना भी बहुत जरूरी है। डेंसिटी से पता चलता है कि फ्यूल कितना प्योर या असली है। पेट्रोल पंप पर मिलने वाले फ्यूल की डेंसिटी सरकार द्वारा तय की गई सीमा के अंदर होनी चाहिए। अगर डेंसिटी निर्धारित सीमा (Petrol density limit) से कम या ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि फ्यूल में मिलावट की गई है।
पेट्रोल की सही डेंसिटी क्या है
पेट्रोल की डेंसिटी 730 से 800 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच होनी चाहिए। अगर डेंसिटी 730 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (Petrol pump jump trick) से कम है, तो इसका मतलब है कि फ्यूल में पानी या किसी दूसरी चीज की मिलावट की गई है। इस तरह आपकी जेब पर डाका डाला जा सकता है। इसके अलावा ऐसा पेट्रोल आपकी कार के इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है।
डीजल की डेंसिटी क्या होती है
डीजल की डेंसिटी 830 से 900 किलोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के दरम्यान होनी चाहिए। अगर फ्यूल डेंसिटी इस लिमिट (Diesel density limit) के बाहर है तो समझ जाएं कि तेल में मिलावट की गई है। ऐसा डीजल खरीदा तो ना केवल पैसे बर्बाद होंगे बल्कि गाड़ी के इंजन में खराबी आने का भी खतरा रहेगा।
कैसे करें डेंसिटी चेक?
पेट्रोल पंप पर डेंसिटी चेक करने के लिए पेट्रोल पंप मशीन (petrol pump zero fraud) पर डेंसिटी की स्क्रीन ढूंढनी होगी। अब यहां आपको डेंसिटी की मात्रा चेक करनी है। अगर डेंसिटी तय लिमिट के अंदर है तो फ्यूल असली है। अगर डेंसिटी तय लिमिट से अलग है तो तेल मिलावटी हो सकता है।
अगर डेंसिटी में गड़बड़ी नजर (petrol pump tips) आती है तो पेट्रोल पंप के कर्मचारी से इसकी तुरंत शिकायत करें। आपकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की जाती है तो कंज्यूमर फोरम में केस दर्ज किया जा सकता है।